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जैनहितैषी
इत्यादि हैं । इनमें कविरत्न और नागवर्म ये दोनों कन्नड़ भाषाके प्रसिद्ध कवि मालूम होते हैं जो दशवीं शताब्दिमें विद्यमान थे । मारसिंगय्य एक गंगवंशीय राजाका नाम है। चामुण्डय्यया चामुंडराय उस सेनापतिका नाम मालूम होता है जिसने गोमठ स्वामीकी विशाल मूर्ति बनवाई है। एक लेखमें मूर्तियोंके बनानेवाले शिल्पकारोंके नाम चंद्रादित्य और नागवर्म लिखे हैं। एक लेखमें सर्पचूळामणि नामक जैनका नाम लिखा है। यह नहीं मालूम कि ये कौन थे। कई लेखोंमें इस बातका उलेख है कि अमुक अमुक मनुष्योंने आकर उस जगहके दर्शन किये अथवा तपस्या की। ___ कदम्बवंशके एक राजाका जिसने पत्थरके तीन टुकड़े मँगवाये
थे, उल्लेख हो चुका है। श्रवणबेलगुलके एक और लेखमें लिखा है कि बासबेके पुत्र राचय्य, जो कदम्बबंशके थे, संसारको त्याग कर यहाँ आये और तीन दिन तक तपस्या करके देवगतिमें पहुँचे । इस लेखके लिखनेवालेका नाम · बलदेव ' दिया है। यह लेख कदाचित् सन् ९५० में लिखा गया होगा। ___ अनंतकेश्वर नामक मंदिरके एक लेखसे पता चला है कि दुदमल्लरस नामक राजाने, जो हैंगडंगमें रहते थे, प्रभाचंद्र देवको ऐबवल्लि नामक ग्राम एक जिनमंदिर बनानेके लिए दिया । इस राजाका और भी लेखोंमें नाम आया है; ये सन् १०८५ के लगभग विद्यमान थे । कदाचित् ये राजा कोनगाल्व वंशके थे।
होलेनरसिपुरके रामानुजाचार्यके मंदिरमें एक जैनलेख मिला
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