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________________ दानवीर सेठ माणिकचन्दजीका स्मारक । दानवीर सेठ माणिकचन्दजीका स्मारक | · यह जानकर पाठकों को प्रसन्नता होगी कि स्वर्गीय दानवीर सेठ माणिकचन्द जे. पी. के स्मरणार्थ एक · ग्रन्थमाला ' निकालने का निश्चय किया गया है । इसमें संस्कृत और प्राकृतके प्राचीन जैनग्रन्थ प्रकाशित होगें और लागत मात्रके मूल्य पर बेचे जायेंगे । प्रत्येक ग्रन्थकी कुछ प्रतियाँ मुफ्त भी बाँटी जावेंगी । ऐसा प्रबन्ध किया जा रहा है कि बहुत जल्दी एक दो ग्रन्थ प्रकाशित कर दिये जावें । शास्त्रदान करनेवालोंके सुभीते के लिए एक योजना यह भी की जायगी कि जो धर्मात्मा किसी ग्रन्थकी सो दोसौ या इससे अधिक प्रतियाँ दानके लिए खरीदना चाहेंगे उनका स्मरणपत्र भी उन प्रतियोंमें छपवा दिया जायगा । ग्रन्थप्रचार और ग्रन्थोद्धार यह स्वर्गीय सेठजीका बहुत ही प्यारा कार्य था । इसलिए यह ' ग्रन्थमाला ' का निकलना उनका बहुत ही अनुरूप और उचित स्मारक होगा । जो सज्जन सेठजीके उपकारोंको भूले नहीं हैं - उनके प्रति जिनकी आदरबुद्धि है आशा है कि उन्हें यह कार्य बहुत पसन्द आयगा और वे इसमें हर तरहसे सहायता पहुँचायेंगे । अभी तक स्मारक फंडमें लगभग चार हजार रुपयेका चन्दा हुआ है जो लगभग वसूल हो चुका है । हम चाहते हैं कि यह फंड कमसे कम दशहजार रुपयेकी अवश्य हो जाय जिससे थोड़ेही समय में इसके द्वारा सैकड़ों प्राचीन ग्रन्थोंका उद्धार हो जाय और उनके दर्शन घर घर होने लगे । ग्रन्थमालाकी नियमावली बन रही है जो शीघ्र ही प्रकाशित होगी । जो महाशय इस विषय में कुछ सूचनायें करना चाहें या सम्मतियाँ देनेकी इच्छा करें वे मुझसे से पत्रव्यवहार करें । Jain Education International १२५ नाथूराम प्रेमी, हीराबाग पो० गिरगांव - बम्बई | For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522801
Book TitleJain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1914
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size12 MB
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