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नीके समय, अपने लड़कपनमें, तुम्हारे पास पलँगपर पड़ा हुआ, सोते सोते छोटे छोटे हाथ फैलाकर तुमको खोजने लग जाता था, वह इस समय तुमसे मिलता भी नहीं, और लोगोंके द्वारा खबर लेता है कि पिताजी कैसे हैं ? जिस पराए लड़केकी सुन्दरतापर मुग्ध होकर तुमने उसको गोदमें लेकर आदर किया था, मुख चूमा था, वही आज जवान है। वह इस समय या तो महापापी है-अपने कुकर्मोंसे पृथ्वीका भार बढ़ा रहा है-पापके सागरमें आकण्ठ निमग्न है, अथवा तुम्हारा ही शत्रु बन बैठा है। तुम क्या करते हो? केवल रोकर कह सकते हो कि इसे मैंने अपनी गोदमें खिलाया है । तुमने जिसे गोदमें बिठाकर 'क-ख' सिखलाया है वही इस समय लब्धप्रतिष्ठ लेखक और पण्डित है,
और तुम्हींको मूर्ख कहकर मन-ही-मन हँसता है। जिसको किसी समय तुम कुछ न समझते थे वही इस समय तुमको कुछ नहीं समझता। तो बताओ, अब जंगलमें बाकी क्या है ? ___ भीतरी बातें छोड़कर बाहर देखिये, वहाँ भी ऐसा ही देख पड़ेगा। जहाँ तुमने अपने हाथसे फूलबाग लगाया था, चुन-चुन कर गुलाब बेला, चमेली, जूही आदिके पेड़ लगाए थे, घड़ा लेकर अपने हाथों पानी सींचा था वहीं देखोगे कि चने मटरकी खेती हो रही है। कल्लू किसान बैलोंको हाँकता हुआ मजेंमे गागाकर हल चला रहा हैउस हलकी नोक मानो तुम्हारे हृदयमें घुसी जाती है। जो मकान तुमने जवानीमें तरह तरह की अभिलाषाएँ करके बड़े यत्नसे बैठकर बनवाया था, जिसमें पलँग बिछा कर, उस पर अपनी धर्मपत्नीके साथ नयनसे नयन और अधरसे अधर मिलाकर, इस जीवनमें कभी न मिटनेवाले प्रेमकी बातें पहलेपहल की थीं, देखोगें, उसी घरकी ईंटें किसी रईसके अस्तबलकी सुर्सी तोड़नेके लिये गधोंपर लदी चली
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