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________________ ४४६ हुक्मकी बेअदबी न हो, इस लिए उन्होंने अपने हाथ नीचेके नौकरोंको वह फरमान दे दिया। पर उन्होंने अपने जैन सभापतिको प्रसन्न रखनेके लिए अथवा और किसी कारणसे उस हुक्मकी तामीली न की। तब सभापतिने एक मुसलमानको यह काम सोंपा, परन्तु उसने भी इंकार कर दिया । इस पर साहबबहादुरका मिजाज बेतरह बिगड़ा । आपने पब्लिक सड़क पर-जहाँ सैकड़ों आदमी एकटे हो रहे थे-सभापतिको बुलाया और हुक्म दिया कि तुम खुद अपने हाथसे कुत्तोंको मारो! सभापतिने इसके पालन करनेसे इंकार कर दिया । तब मजिस्ट्रेट साहब लाल ताते होते हुए और यह कहते हुए कि इसका परिणाम बहुत बुरा होगा-अपने घर चले गये । दूसरे दिन आपने सभापतिको ‘एक नोटिस दे डाला कि तुमने एक उचित आज्ञाका अनादर किया, इस लिए तुमपर मुकद्दमा क्यों न चलाया जाय ? हम आशा करते हैं मद्रास गवर्नमेंट इस मामलेकी अच्छी तरह जाँच करेगी और साहब बहादुरके विकृत मस्तकको ठिकाने ला देगी। इस तरहके मामलोंसे राजा और प्रजाके बीच द्वेषका बीज बोया जाता है । . सेठीजीका समाचार-बाबू अर्जुनलालजी सेठी, बी. ए. के कष्टोंका अभी तक अन्त नहीं आया। पूरे तीन महीने इन्दौरकी हवालातमें रखकर अब उन्हें ता० २३ जून को जयपुरकी हवालातमें भेज दिया है। उनपर न कोई जुर्म लगाया जाता है-न मुकद्दमा चलाया जाता है और न वे छोड़े ही जाते हैं। मालूम नहीं, सरकार अपराध सिद्ध किये बिना उनको यह हवालातकी सजा क्यों दे रही है। सुनते हैं पुलिससे पूछनेसे मालूम हुआ कि उन पर कोई राजनैतिक अपराध नहीं है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522795
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size13 MB
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