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________________ २५८ बौद्धपुराण महावंशमें गौतमबुद्धका निर्वाणकाल ईसासे ५४३. वर्ष पूर्व दिया है । दीपवंश पुराणमें बुद्धदेवके निर्वाण कालसे अशोकके सिंहासनारूढ़ होनेतकका समय २१८ वर्ष दिया है; इसकी पुष्टि अशोकके मैसूर और अन्य स्थानोंके लेखोंसे भी होती है । अशोकके एक लेखसे यह भी मालूम हो गया है कि वे ईसासे लगभग २७० वर्ष पहले सिंहासनारुढ हुए थे। अब २७० में २१८ जोड़नेसे बुद्धदेवका निर्वाण काल ईसासे ४८८ वर्ष पूर्व निश्चित होता है । इसका समर्थन और भी कई प्रबल प्रमाणों द्वारा हुआ है । अतएव महावंशमें दिया हुआ समय अशुद्ध है। ___ लार्ड एलिनबरा जब अफगान-युद्ध पर गये थे, तब सुलतान महमूदके मकबरेमेंसे सन् १८८२ ई० में किवाडोंकी एक जोड़ी यहाँ लाये उन्हें किसी तरह यह मालूम हुआ कि ये किवाड़ सोमनाथ (गुजरात) के सुप्रसिद्ध मंदिरोंके हैं। लोगोंने कहा कि जब सुलतान महमूदने सोमनाथ पर आक्रमण किया था तब वह इन किवाडोंको अपने साथ गजनी नगरमें ले गया था। उक्त लार्ड इन किवाडोंको प्राचीन और ऐसे महत्त्वकी चीज़ समझकर भारतवर्षमें ले आये। ये किवाड़ सर्वसाधारणको दिखानेके लिए बाजारमें घुमाकर आगरेके किलेमें रख - दिये गये । किवाड़ देवदारके हैं और अब भी सर्व साधारणके अवलोकनार्थ आगरेके किलेमें रक्खे हुए हैं । बहुत कालतक इनके विषयमें यही बात मशहूर रही कि ये सोमनाथके किवाड़ हैं । परन्तु कुछ समय हुआ इन पर सुलतान महमूदका एक लेख देखा गया और उससे यह मालूम हुआ कि ये सोमनाथके किवाड नहीं हैं। . ऐसी ही बहुतसी बातें लिखी जा सकती हैं। इन लेखोंसे केवल ऐतिहासिक बातें ही नहीं किन्तु भूगोलसम्बन्धी बातें भी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522794
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size14 MB
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