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________________ ३१५ ५. कैफियत तलब की गई। समस्त शुद्धाम्नायी भाइयोंकी ओरसे मालवा प्रान्तिक सभाके पास एक पत्र भेजा गया है और उसमें इस बातकी कैफियत तलब की गई है कि मालवा प्रान्त शुद्धाम्नायका केन्द्र है, तब उसकी सभाके सभापतिके पदपर सेठ हीराचन्द नेमिचन्दजी क्यों बैठाये गये? क्या सभाको यह मालूम नहीं है कि उक्त सेठजी बीसपंथी हैं और जैनसमाजमें छापेका प्रचार करनेवाले प्रधान आचार्य है । यदि उन्हें सभापति बनाया भी था तो कमसे कम इन्दौरके उस पुराने काग़जपर तो उनसे दस्तखत करा लेना चाहिए था जिसमें छापेके ग्रन्थोंके घरमें न रखनेकी प्रतिज्ञायें लिखी हैं । देखें, सभा इस. पत्रका क्या उत्तर देती ६. एक और भट्टारक । सोजित्राकी भट्टारककी गद्दीपर पं० सुन्दरलालजी बहुत जल्दी बैठनेवाले हैं। बिना किसीकी सम्मतिसे एक जैन स्त्री उन्हें शीघ्र ही भट्टारक बना देना चाहती है । 'दिगम्बरजैन' ने इसके विरुद्ध बहुत कुछ लिखा है और चाहा है कि लोग इस अन्यायको रोकें । "बिना सबकी सम्मति लिए सुन्दरलाल जैसे महात्माओंको गद्दीपर बिठा देना ठीक नहीं ! परन्तु मेरी समझमें उसका यह खयाल गलत है । लोग उसकी सुनते भी कहाँ हैं ? पिछले वर्ष मोतीलालजीके विषयमें क्या थोडी उछल कूद मचाई थी? पर हुआ क्या? वे भट्टारक बन बैठे और लोग उनकी पूजा भी करने लगे .. जब तक गुजराती भाइयोंमें प्रबल गुरुभक्तिका अस्तित्व है, तब तक वे उसकी बातें क्यों मानने लगे ? और यह भी तो सोचना चाहिए कि - आजकल स्त्रियोंका बल कितना बढा हुआ है । जब एक स्त्रीने इसके Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522794
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size14 MB
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