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________________ नई पुस्तकें। समाज। - बंग साहित्य सम्राट कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी बंगला पुस्तकका हिन्दी अनुबाद / इस पुस्तककी प्रशंसा करना व्यर्थ है। सामाजिक विषयोंपर पाण्डित्यपूर्ण विचार करनेवाली यह सबसे पहली पुस्तक है। इस पुस्तकमेंके समुद्र यात्रा, अयोग्यभक्ति, आचारका अत्याचार आदि दो तीन लेख पहले जैनहितैषीमें प्रकाशित हो चुके हैं। जिन्होंने उन्हें पढ़ा होगा वे इस ग्रन्थका महत्त्व समझ सकते हैं। मूल्य आठ आना। प्रेम भाकर। रूसके प्रसिद्ध विद्वान् महात्मा टाल्सटायकी 23 कहानियोंका हिन्दी अनुवाद। प्रत्येक कहानी दया, करुणा, विश्वव्यापी प्रेम, श्रद्धा और भक्तिके तत्त्वोंसे भरी हुई है। बालक स्त्रियां, जवान बूढ़े सब ही इनसे शिक्षा उठा सकते हैं। मू०१) स्वर्गीय कविवर द्यानतरायजीकृत द्यानतविलास या धर्मविलास छपकर तैयार है। चरचाशतक, द्रव्यसंग्रह, पदसंग्रह आदि जो जुदा पुस्तकाकार छप चुके हैं उन्हें छोड़कर इसमें द्यानतरायजीकी सारी कविताओंका संग्रह है। निणयसागरमें खूब सुन्दरतासे छपाया गया है / मूल्य भी बहुत कम अर्थात् एक रुपया है। मंगानेवालोंको शीघ्रता करनी चाहिए। नागकुमार चरित। उभय भाषा कवि चक्रवर्ती मल्लिषेण सूरिके संस्कृत ग्रन्थका सरल हिन्दी अनुवाद पं० उदयलालजीने लिखा है। हाल ही छपा है / मूल्य छह आना। यात्रादर्पण। तीर्थोकी यात्राका इससे बड़ा विवरण अब तक नहीं छपा। इसमें संपूर्ण सिद्धक्षेत्र, प्रसिद्ध मन्दिर और शहरोंका वर्णन है / इतिहासकी बातें भी लिखी गई हैं। जैन डिरेक्टरी आफिसने इसे बड़े परिश्रम और खर्चसे तैयार कराई है। साथमें रेलवे आदिका मार्ग बतलानेवाला एक बड़ा नकशा है। पक्की कपड़ेकी जिल्द है। बड़े साइजके 359 पृष्ठ हैं / मूल्य दो रुपया। 'मिलनेका पता:जैनग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग पो० गिरगांव-बम्बई / / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522792
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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