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________________ २. एक प्राचीन राज्यका ध्वंसावशेष। पृथ्वीके गर्भमें मनुष्य जातिका अनन्त इतिहास भरा पड़ा है। कुछ समयसे प्राचीन बातोंकी खोज करनेवालोंका ध्यान इस ओर बहुत कुछ आकर्षित हुआ है। जगह जगह भूगर्भ खोदकर प्राचीन स्थानोंका और इतिहासोंका पता लगाया जा रहा है । और इस कार्य में कहीं कहीं तो आशासे अधिक सफलता हुई है। पाठकोंको मालू होगा कि भारतवर्षमें ऐसे कई स्थान खोदे जा चुके हैं-प्राचीन पाटलीपुत्र या पटनाकी खुदाईका काम तो अब तक जारी है और इसके लिए सुप्रसिद्ध दानी ताताने सरकारको एक अच्छी रकम देना स्वीकृत किया है भारतके बाहर इस प्रकारकी खोजें और भी अधिक उत्साहके साथ है रही हैं । एशियाके व्याविलन नामक देशका नाम पाठकोंने सुना होगा यहाँ कई वर्षोंसे पृथ्वी खोदी जा रही है । इससे वहाँके प्रसिद्ध राजा नेबूकाडनेजर और उसकी राजधानीकी अनेक गुप्त बातोंका पता लग है । साथ ही व्याविलोनियाकी अतिशय प्राचीन राजधानी किस नग. रकी बहुत सी चीजें हाथ लगी हैं। राजमहलके विशाल आँगनमें एवं बड़े भारी मन्दिरका कुछ भाग मिला है जिसका नाम है-'स्वर्गमयंक दीवाल, जातीय देवता जमामाका मन्दिर ।' इस मन्दिरमें जो मूर्तियाँ और वर्तन आदि पाये गये हैं वे ४ हजार वर्षसे भी पुराने हैं । बगदाद और निनेभके मध्यवर्ती असुरनगरके खोदनेसे जो कुछ मिला है उससे प्राचीन असीरिया वासियोंके एक सुगठित सभ्यताके इतिहासका मार्ग सुगम हो गया है । कालडिया और असीरियावालोंके जो मका. नात मिले हैं वे सब ईंटोंके बने हुए हैं । एक पूराका पूरा मकान मिला ___ वह सात मंजिलका है । प्रत्येक मंजिलमें सात सात कमरे हैं और वे जुदा जुदा रंग और आकारकी ईंटोंसे बने हुए हैं! निनेभ शहरके Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522792
Book TitleJain Hiteshi 1913 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granthratna Karyalay
Publication Year1913
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Hiteshi, & India
File Size9 MB
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