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Vaishali Institute Research Bulletin No. 6
उन्हीं नामों से जाने जाते हैं तथा भांगड़ा या अन्य नृत्यों में प्रायः उन्हीं का अधिक प्रयोग होता है। भौगोलिक वर्णन
कवि श्रीधर मात्र भावनाओं के ही चितेरे नहीं, अपितु उन्होंने जिस भू-खण्ड पर जन्म लिया था, उसके कण-कण के अध्ययन का भी प्रयास किया था। यही कारण है कि 'पासणाह चरिउ' में विविध नगर एवं देशवर्णन, नदो, पहाड़, सरोवर, वनस्पतियाँ, विविध मनुष्य जातियां, उनके विविध व्यापार, भारत-भूमि का तत्कालीन राजनैतिक-विभाजन, विविध देशों के प्रमुख-उत्पादन तथा उनके आयात-निर्यात सम्बन्धी अनेक भौगोलिक सामग्रियों के चित्रण भी कवि ने किये हैं । उदाहरणार्थ कुछ सामग्री यहाँ प्रस्तुत की जाती है।
___कुमार पाव जिस समय काशीराज्य के युवराज पद पर प्रतिष्ठित किए जाते हैं, उस समय निम्न देशों के नरेश उन्हें सम्मान-प्रदर्शन हेतु तलवार हाथ में लेकर उनके राज-दरबार में पधारे । उक्त देशों के वर्गीकृत नाम इस प्रकार है
पूर्व भारत-वज्रभूमि, अंग, बंग, कलिंग, मगध, पापा, खश एवं गौड़ । उत्तर भारत-हरयाणा, टक्क, चौहान, जालन्धर, हाण एवं हूण । पश्चिम भारत-गुर्जर, कच्छ एवं सिन्धु । दक्षिण भारत-कर्नाटक, महाराष्ट्र, चोड एवं राष्ट्रकूट ।
मध्य भारत --- मालवा, अवध, चन्दिल्ल, मादानक एवं कलचुरी । युवराज पावं के लिए विविध नरेशों द्वारा प्रदत्त भेंट सामग्रियाँ
युवराज पार्श्व जब यवन राज के साथ युद्ध करने हेतु प्रस्थान करने लगते हैं, तब निम्न नरेशों ने अपने-अपने देशों में निर्मित निम्न सुप्रसिद्ध वस्तुएँ युवराज पार्श्व की सेवा में भेंट स्वरूप भेजी
मणि मेखलाएँ एवं हारलताएँ-कीर देश, पाञ्चाल, टक्क देश, पालम्ब एवं जालन्धर । वाणों द्वारा अभेद्य मुकुट-सोनदेश
केयूर-सिन्धदेश कंकण-हम्मीर राजा द्वारा प्रेषित
कुण्डल-मालव निवसन-वस्त्र-खश
चूड़ारल (रुद्राक्ष ?)-नेपाल प्रतीत होता है कि ११ वी १२ वीं सदी में उक्त देशों में उक्त वस्तुओं का विशेष रूप से निर्माण किया जाता था तथा उनका दूसरे देशों में निर्यात भी किया जाता रहा होगा । असम्भव नहीं कि इन व्यापारों से कवि श्रीधर के आश्रयदाता साहू नट्टल का भी सम्बन्ध रहा
१. पासणाह. २०१८ । २. वही० ३।१५।
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