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________________ 86 Vaishali Institute Research Bulletin No. 6 निधि आगम प्रमाणान्तर से सिद्ध नहीं है शब्द-अद्वैतवादियों का यह कहना कि निर्बाध ( बाधारहित ) आगम से शब्दब्रह्म की सिद्धि होती है, ठीक नहीं है। अनुमान, तर्क आदि प्रमाणों के द्वारा उसकी निर्बाधता सिद्ध होने पर ही तर्कशास्त्री उसे निधि आगम मान सकते हैं, लेकिन प्रमाणों से उसकी निर्बाधता सिद्ध नहीं होती। अनुमानादि से रहित उस आगम की निर्बाधता तर्कशास्त्रियों को मान्य नहीं है ' । शब्दब्रह्म से भिन्न आगम नहीं है विद्यानन्द, प्रभाचन्द्र , वादिदेव सूरि विकल्प प्रस्तुत करते हुए पूछते हैं कि शब्दब्रह्म से आगम भिन्न है अथवा अभिन्न २ ? शब्द-अद्वैतवाद में शब्दब्रह्म से भिन्न को आगम नहीं माना गया है । जब वह आगम उससे भिन्न नहीं है, तो उससे शब्दब्रह्म की सिद्धि नहीं हो सकती। आगम को ब्रह्म से भिन्न मानने पर द्वैत की सिद्धि हो जायेगो । उपर्यक्त दोष से बचने के लिये शब्द-अद्वैतवादी यह युक्ति दें कि आगम शब्दब्रह्म का विवर्त है, अतः उससे उसकी सिद्धि हो जायेगी। इसके उत्तर में विद्यानन्द का कथन है कि ऐसा मानने पर आगम अविद्या स्वरूप सिद्ध हुआ। जो अविद्या स्वरूप है, वह अविद्या की तरह अवस्तु अर्थात् असत् सिद्ध हुआ। अतः अवस्तुरूप आगम वस्तुभूत ब्रह्म का साधक नहीं हो सकता । आगम को शब्दब्रह्म से अभिन्न मानने में दोष अब यदि शब्द-अद्वैत सिद्धान्ती माने कि आगम शब्दब्रह्म से अभिन्न है, तो यह भी ठीक १. निर्बाधादेव चेत्तत्वं न प्रमाणान्तरादृते । तदागमस्य निश्चेतुं शक्यं जातु परीक्षकैः । —वही, श्लोक ९९-१००। २. (क) त० श्लो० वा०, १/३, सू० २०, श्लोक १०, पृ० २४१ । (ख) प्र० क० मा०, ४/३, पृ० ४६ । (ग) स्या० र०, १/७, पृ० १०१-१०२ । ३. न चागमस्ततो भिन्नसमस्ति परमार्थतः ॥ -त० श्लो० वा०, १/३, सूत्र २०, श्लोक १०० । ४. (क) · · · ·, ब्रह्मणोर्थानन्तरभावे-द्वैतप्रसंगात् ।। -प्रभाचन्द्र : प्र० क० मा०, १/३, ४६ । (ख) वादिदेवसूरि : स्या० र०, १/७, पृ० १०१।। ५. तद्विवर्तस्त्वविद्यात्मा तस्य प्रज्ञापकः कथं । -त० श्लो० वा०, १/३, सूत्र २०, श्लोक १०१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522605
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorL C Jain
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1988
Total Pages312
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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