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________________ महाकवि पुष्पदन्त का भाषात्मक अवदान उन्होंने संस्कृत को आधार में रखते हुए भी लोक भाषाओं के शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है । दशवीं शताब्दी भारतीय भाषाओं का समृद्धकाल कहा जा सकता है । उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत में प्रचलित भाषाओं के ही नहीं, अपितु फारसी और अरबी के शब्दों से भी पुष्पदन्त का साक्षात्कार था । आवश्यकतानुसार इन सब का प्रयोग उन्होने अपने ग्रन्थों में किया है । कुछ शब्द तो ऐसे हैं, जो पुष्पदन्त की रचनाओं के द्वारा पहली बार प्रकाश में आये हैं । न केवल प्राकृत, अपभ्रंश, देश्य शब्दों के कोशों के लिए पुष्पदन्त ने शब्द- सम्पदा प्रदान की है, अपितु संस्कृत कोश में भी उन्होंने कई अपरिचित शब्द प्रदान किये हैं । इन सब का संकलन एवं मूल्यांकन किया जाना अभो शेष है । पुष्पदन्त की कुछ भाषात्मक उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं १. जसहरचरिउ में लोक भाषा के तत्व अधिक हैं तथा संस्कृत के अप्रचलित शब्द भी इसमें अधिक मिलते हैं । यथा- अंगचाअ ( ४. ९. ९. ) अंग + त्याग = • कार्योत्सर्ग अणलिय ( ३.३० ९ ) अन + अलीक = सत्य अणि (४.९.१२ ) अ + निष्ठित = शेष ( असमाप्त ) अणुमग्गयर ( २. ६.८ ) अनु + मार्गचर = अनुचर अपेअ ( ४. १४. ९ ) अ + पेत = गया हुआ अभग्ग ( टिप्पण ) अ + भग्न = यथावत् अरमाहर ( १. २. ९ ) अरमा = अलक्ष्मी ( दारिद्र ) + हर = नाशक = धनी • अतिसरल अविवक ( १. १५.६ ) अ + वि + वक्र आविजिअ ( ३. ८. १३) आ + वर्जित = सम्मानित पिडवण ( १. ९.६ ) पितृ + वन श्मशान २. पुष्पदन्त ने अपने महापुराण में संस्कृत के कुछ ऐसे शब्दों का भी प्रयोग किया है। जो उनके समय प्रचलित तो थे, किन्तु उनके अर्थों में परिवर्तन होने लगा था । ये शब्द यद्यपि संस्कृत के तद्भव शब्द हैं किन्तु भिन्न अर्थ को प्रकट करने वाले हैं। यथा कट्टु करकं कुंभिणी खेड खेलण ६. वही, पृ० ५४ आदि । Jain Education International = = - = कठोर भिक्षापात्र पृथ्वी देरी खिलौना < कष्ट < करकं < कुंभिन < क्षेप < क्रीड़ा For Private & Personal Use Only = H 55 == = तकलीफ कटोरा हाथ वीतना खेल www.jainelibrary.org
SR No.522605
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorL C Jain
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1988
Total Pages312
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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