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महाकवि पुष्पदन्त का भाषात्मक अवदान
डा० प्रेम सुमन जैन* महाकवि पुष्पदन्त अपभ्रंश-साहित्य के बहुश्रुत एवं मर्मज्ञ विद्वान् थे। उनकी तीनों रचनाएँ महापुराण, जसहरचरिउ एवं णायकुमारचरिउ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से ही समृद्ध नहीं हैं, अपितु उनमें भारतीय भाषाओं की प्रचुर सामग्री भी है। पुष्पदन्त के तीनों ग्रन्थों के प्रामाणिक संस्करण प्रकाशित होने के कारण महाकवि की शब्द-सम्पत्ति विद्वानों के समक्ष उपलब्ध हो चुकी है। उसके विशेष अध्ययन से भारतीय भाषाओं के इतिहास में कई नये तथ्य जुड़ने की सम्भावना बनी है। डा० पी० एल० वैद्या,' डा. हीरालाल जैन एवं डा० देवेन्द्र कुमार जैन की पाण्डित्यपूर्ण भूमिकाओं एवं परिशिष्टों की सामग्री में पुष्पदन्त द्वारा प्रयुक्त अपभ्रंश के कुछ शब्दों के भाषात्मक स्वरूप पर चिन्तन किया गया है। इन ग्रन्थों की पाण्डुलिपियों के साथ प्राप्त टिप्पणों में भी कुछ भाषात्मक सामग्री उपलब्ध होती है । डा० श्रीमती रत्ना श्रेयान् ने अपने शोध-प्रबन्ध में महापुराण में उपलब्ध देश्य शब्दों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। इन सब सामग्री के आधार पर पुष्पदन्त के भाषात्मक अवदान की कुछ बानगी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है ।
प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा के अध्ययन के लिये वैयाकरणों ने संस्कृत भाषा की संरचना को आधार माना है। उसके स्वरूप को सामने रखकर प्राकृत एवं अपभ्रंश के स्वरूप को समझा एवं समझाया जाता रहा है। यह स्वभाविक भी है। क्योंकि प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा के ग्रन्थों में संस्कृत के तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रचुरता से प्रयोग हुआ है। पुष्पदन्त की रचनाओं को भी बिना संस्कृत भाषा एवं व्याकरण के ज्ञान के नहीं समझा जा सकता है। किन्तु पुष्पदन्त के भाषा ज्ञान का कैनवास ( क्षेत्र ) विस्तृत था।
* अध्यक्ष, जनविद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर । १. वैद्या, पी० एल०; महापुराण ऑफ पुष्पदन्त, भाग १-३, बम्बई, १९३७-४१, भूमिका । २. जैन, होरालाल; णायकुमारचरिउ, वाराणसी, १६७२ (हि० सं०) भूमिका, वाराणसी । - जैन, हीरालाल, जसहरचरिउ, वाराणसी, १९७२, ( दि० सं० ), भूमिका, शब्दकोश । ३. जैन, देवेन्द्रकुमार; महापुराण, ( हिन्दी अनुवाद ) भाग १-४, दिल्ली, १९८४ । ४. महापुराण एवं णायकुमारचरिउ के कुछ प्रतियों में प्राप्त टिप्पण ।
डा० जैन के अनुसार प्रभाचन्द्र पण्डित ने ये टिप्पण १०५५ ई० में लिखे थे। ५. श्रेयान्, रत्ना नागेश; 'ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ महापुराण ऑफ पुष्पदन्त',
अहमदाबाद, १९६९ ।
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