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________________ Vaishali Institute Research Bulletin No. 3 1 विपरीत हैं उन्हें भेद और दण्ड से जीतना चाहिए। संघों के समीप रहनेवाले गुप्तचरों का कर्तव्य है कि वे उनके पारस्परिक दोषों का पता लगायें, तथा द्वेष, वैर और कलह-स्थान को जानकर उनमें फूट डाल दें, यह कहकर कि अमुक व्यक्ति तुम्हारी विकल्पना करता फिरता है । इस प्रकार जब दोनों पक्षों में रोष उत्पन्न हो जाये, तो गुप्तचर बने हुए आचार्य विद्या, शिल्प, द्यूत और आमोद-प्रमोद को लेकर शिष्यों में कलह पैदा कर दें । वेश्यागृहों और मदिरालयों में प्रतिपक्षियों की प्रशंसा द्वारा संघ के प्रमुखों में कलह उत्पन्न कर दें । हीन आनन्द का उपभोग करनेवाले कुमारों को विशिष्ट आनन्द का उपभोग करने के लिए प्रेरित करें । विशिष्टों का हीनों के साथ सहभोज और अन्तविवाह रोक दें; हीनों के विशिष्टों के साथ सहभोज और अन्तविवाह की योजना करें। जो बहुत हीन समझे जाते हों उन्हें कुल, पौरुष स्थान- विपर्यास में समानता प्राप्त करने के लिए अनुप्रेरित करें | कानूनी विवाद के स्थानों में द्रव्य, पशु अथवा मनुष्य के अभिघात से रात्रि के समय कलह पैदा कर दें । विवाद स्थानों में राजा का कर्तव्य है कि हीनपक्ष को कोष और सेना का समर्थन देकर उसे प्रतिपक्षी के वध के लिए जुटाये । उसे चाहिए कि वह पांच या दस कुलों को अलग-अलग कृषि के योग्य भूमि में बसा दे । यदि सब एक स्थान पर मिलकर रहेंगे तो शस्त्र उठाने में समर्थ हो सकेंगे । यदि वे एकत्र होने का प्रयास करें तो उन्हें दण्ड देकर रोके । गुप्तचर को चाहिए कि पेटियों और बर्तनों में द्रव्य भरकर और उन पर मोहर लगाकर उन्हें चैत्य और मंदिरों के द्वारों एवं सुरक्षित स्थानों में गाड़ कर रख दे और जब संघ के लोग उन स्थानों के पास आते हुए दिखाई दें तो उनसे कहे कि यह मालअसबाब राजा का है और फिर उन पर आक्रमण कर दे। संघ के किसी व्यक्ति से कुछ समय के लिए कोई वाहन या हिरण्य उधार लेकर उसे संघ के प्रमुख को दे दे और जब वह व्यक्ति अपनी चीज वापिस माँगे तो कह दे कि उसने अमुक गुप्तचर के वेष में रहनेवाले वेश्याओं के पोषक, वाजीगर, नट, परम रूप और यौवन-सम्पन्न स्त्रियों के द्वारा संघ के प्रमुखों के करा दें । जब उनमें काम का संचार हो जाय तो उनमें से किसी पैदा कर और किसी दूसरे के पास जाकर अथवा दूसरे के द्वारा कलह पैदा करा दें । कलह हो जाने पर वध करनेवाले यह कहकर जायें कि इस प्रकार वह कामुक व्यक्ति मारा गया । अथवा यदि कोई असफल व्यक्ति अपनी निराशा को सहन करता हुआ दिखाई दे तो स्त्री उसके पास जाकर कहे, 'मैं तुमसे प्यार करती हूँ, अतः अमुक प्रमुख मुझे सताता है; जब तक वह जीवित है, मैं यहाँ नहीं रह सकती', और यह कहकर उसके घात की योजना करे । अथवा यदि किसी स्त्री का बलात् अपहरण कर लिया गया हो तो वह अपहरण कर्ता को वनान्त अथवा क्रीडागृह में रात्रि के समय किसी से मरवा दे अथवा स्वयं विष देकर उसकी घोषणा कर दे कि उसके प्रेमी की किसी कि वह किसी स्त्रीलोलुप संघ के प्रमुख के आया है, उसकी पत्नी राजा के योग्य है, हत्या कर दे और फिर हत्या कर दी है । गुप्तचर को चाहिए पास जाकर कहे — 'गांव में कोई दरिद्र परिवार आप उसे ले लें । जब वह प्रमुख उस स्त्री को 8 Jain Education International For Private & Personal Use Only प्रमुख को दे दी है । नर्तक अथवा जादूगर चित्त में उन्माद उत्पन्न एक में प्रेम का विश्वास बलात् अपहरण करके अपना काम करते www.jainelibrary.org
SR No.522604
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR P Poddar
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1983
Total Pages288
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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