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136 VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN No. 3
उपर्युक्त विवेचन और आधुनिक जैन समाज में प्रचलित वैवाहिक सम्बन्ध के अध्ययन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि आज भी जैन समाज में विवाह सम्बन्धी कानून आगमिक हैं । लड़के-लड़की के विवाह करने के पूर्व जाति, गोत्र, मूल आदि को ध्यान में रखा जाता हैं । विशेषता इतनी है कि आजकल कोई भी जैन दूसरे जैन के यहाँ विवाह सम्बन्ध कर सकता है। दूसरे शब्दों में परवार आदि जाति के अग्रवाल, गोलापूर्व आदि जाति में विवाह सम्बन्ध होने लगे हैं। इस प्रवृत्ति को और भी उदार बनाना जैन समाज को : शुभ होगा । बहुत सी कुरीतियों एवं समस्याओं से मुक्ति भी मिल जायेगी।
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