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________________ जैन नाटककार हस्तिमल्ल का समय 221 पूर्व में होनेवाले हस्तिमल्ल' का समय ई० की १२वीं सदी के अन्त तक जा सकता है । दूसरी बात यह है कि ब्रह्मसूरि का समय हस्तिमल्ल के समय के आधार पर १५वीं सदी और हस्तिमल्ल का समय ब्रह्मसूरि के समय के आधार पर १४वीं सदी मानना अन्योन्याश्रय दोष युक्त है । अतः ब्रह्मसूरि के समय को १५वीं सदी मानना भी सन्दिग्ध है । ८. सत्यवाक्य नाम का साम्य - प्रभाचन्द का अस्तित्व ईसा की पूरी १२ वीं शताब्दी भर मिलता है । प्रभाचन्द्र के शिष्य वीर कोंगाल्देव राजा ने एक सत्यवाक्य जिनालय का निर्माण कराया था । पुत्रों का नामकरण करने में अनुकरण की प्रवृत्ति पाई जाती है । गोविन्द भट्ट ने संभवत: इसी मंदिर के नाम के आधार पर अपने द्वितीय पुत्र का नाम सत्यवाक्य रखा था । सत्यवाक्य अपने छह भाइयों में द्वितीय और हस्तिमल्ल पाँचवे थे । यह कल्पना हस्तिमल्ल में १२ वीं सदी में सिद्ध करती है । ८. नाट्यभवन का साक्ष्य – सन् ११९५ में श्रवणवेलगोला के पार्श्वनाथ मंदिर में राजा वल्लाल ( ११७३-१२२० ) के जैनमन्त्री नागदेव ने एक नाट्यभवन बनवाया था । पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में नाट्यभवन बनवाने का औचित्य तभी है जबकि उसमें किसी जैन नाटक का अभिनय कराना अभीष्ट हो । उस समय तक दि० जैन नाटकों के प्रणयन का उल्लेख नहीं मिलता है । हस्तिमल्ल ही दक्षिण के ऐसे सशक्त नाटककार हुए हैं जिनके नाटकों के अभिनय के लिए उक्त नाट्यभवन बनवाया गया हो । हस्तिमल्ल के अंजनापवनंजय और मैथिलीकल्याण नाटक की पुष्पिकाओं में अभिनीत होने के संकेत भी हैं । १. तद्धस्तिमल्लतनुजो भुवि सुप्रसिद्ध: सद्धर्मपालकमहोज्वलकीर्तिनाथः तद्धर्मवर्धयितुमप्यखिला गमज्ञः श्री पार्श्वपण्डितबुध विशदन्यराजकम् तत्सून वश्चन्दपचन्द्रनाथ वैजय्यजीयाश्च क्रमाद् बभूवु; सद्वर्तनानुचरितोज्वलचन्दपार्थसूनुः सुशास्त्रविदभूद् विजयो द्विजोत्तमः तत्संभवः सकलशास्त्र कलाधिनाथो नामनेन्द्र विजयो जिनयायजूकः शास्त्राम्भोजाम्भोजातभास्वज् जिनपदनखसच्चन्द्रिकाचकोरं विजयेन्दुः सुषुवे हि तत्प्रणयिनी श्रीनामधेया च यम् सद्धर्माब्धिसुपूर्णचन्द्रममलं सम्यक्त्वरत्नाकरम् तत्पुत्रं खलु ब्रह्मसूरिणमिति प्रख्यात भाग्योदयम् । Jain Education International ( प्रतिष्ठासारोद्धार की हस्तलिखित प्रति में अन्त्य प्रशस्ति, पृष्ट ११२ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522602
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG C Chaudhary
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1974
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size7 MB
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