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'चरिउ' और 'मानस'
209 हैं। दोनों में एक महत्त्व की समानता यह है कि यदि तुलसी की काव्ययात्रा उनके लिए तीर्थयात्रा है तो स्वयंभू के 'चरिउ' में आनवाले आश्वास (सर्ग) किसी तीर्थ (समतूह) से कम नहीं।
चरिउ की कथा
___ 'चरिउ' की कथा कुल ५ कांडों में है। पहले विद्याधरकांड में आवश्यक काव्य-परम्परा के निर्वाह (मंगलाचरण, प्रात्म-परिचय, आत्मल घुता, सज्जनदुर्जन-चित्रण) के बाद मानव, विद्याधर वानर और राक्षसवंशों की परम्परा दी गई है, अन्तिम दो वंश मानव और विद्याधरों के मेल से ही उत्पन्न हुए थे ! मानव वंश अर्थात् इक्ष्वाकुकुल के आदिपुरुष तीर्थंकर ऋषभ थे। इसी वंश में राम हुए, और उनके समय में राक्षस वंश में रावण हुआ। वानरों से युद्ध ठन जाने के कारण राक्षसवंश की स्थिति दयनीय हो उठती है। रावण फिर से अपने कुल का उद्धार करता है। एक दिन वह भंडार में जाकर अपने कुल के आदिपुरुष का नवग्रह हार पहन लेता है जिसमें उसके दस मुँह दिखाई देते हैं, इससे उसका नाम दसमुख पड़ जाता है, कांड के अन्त में रावण उन्नति और ऐश्वर्य के चरम शिखर पर है। दूसरे अयोध्याकांड में विभीषण, दशरथ और जनक की हत्या का षड्यंत्र रचता है, क्योंकि उसे एक जैनमुनि यह बता देते हैं कि उन दोनों की संगत से रावण का नाश होगा। दशरथ जनक किसी तरह भागकर बच जाते हैं। दशरथ के ४ पुत्र हैं। कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत, सुमित्रा से लक्ष्मण और सुप्रभा से शत्रुघ्न । एक वार म्लेच्छ और शबर जनक पर आक्रमण करते हैं। जनक के अनुरोध पर राम-लक्ष्मण शत्रुनों का सफाया कर देते हैं, और धनुष उठाने पर राम का सोता से विवाह होता है । बुढ़ापे के कारण दशरथ राम को गद्दी देना चाहते हैं, परन्तु कैकेयी के विरोध के कारण राम को वन मिलता है। भरत अनिच्छा से राजकाज सम्हालता है। दशरथ जैनदीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। अपनी वनयात्रा के क्रम में राम दंडक वन पहुँचते हैं, जहाँ से रावण सीता का अपहरण कर लेता है। सीता नगर में प्रवेश नहीं करती। उसे लंका के बाहर नंदनवन में ठहरा दिया जाता है। तीसरे सुन्दरकांड में असली-नकली सुग्रीव की लड़ाई में असली सुग्रीव जीतता है। वह सीता की खोज में राम की मदद करता है । सीता का पता लगता है कि वह लंका में है। हनुमान दूत का कार्य करता है। युद्धकांड में विभीषण राम के पक्ष में मिलता है । लक्ष्मण के हाथों रावण की मृत्यु होती है। रावण का अन्तिम संस्कार कर और विभीषण को राज्य सौंप कर राम पुष्पक विमान से अयोध्या वापस आते हैं। अन्तिम पाँचवें उत्तरकांड में भरत, राज्य वापस कर जैमदीक्षा ग्रहण कर लेता है। राम का मन सीता से विरक्त हो उठता है । इसी समय प्रजा उनके चरित्र में सन्देह करती है। राम को बहाना मिल गया और बे लक्ष्मण के द्वारा उसे बियावान जंगल में छड़वा देते हैं, वहाँ से बज्रसंघ उसे अपने घर ले जाता है, सीता लव और कुश को जन्म देती है। दोनों का बड़े होने पर, राम से
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