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7.9
धम्मत्थ
विवज्जिय
दुक्खजालु
छट्ठउ
अइ
दूहु
कहिउ
कालु
7.10 घत्ता इगवीस
सहासइ
वरिसइ
तासु
पमाणु
पयासिउ
छह
कालहु
एहु
समासें
माणु
जिणिदें
भासियउ
धर्म से
रहित
दुःख का जाल
छठा
अति,
बहुत
दुखपूर्ण / असह्य दुखवाला
कहा गया
काल, समय
इक + बीस = इक्कीस
हजार
वर्ष
उसका
परिमाण
प्रसिद्ध है (स्पष्ट है)
छ
काल
संक्षेप में
समझो
जिनेन्द्र के द्वारा
(इति कालावलि की जयमाल )
अपभ्रंश भारती 21
अपभ्रंश साहित्य अकादमी
जयपुर