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________________ अपभ्रंश भारती 19 संसार-भावना अर्थ - संसार की स्थिति इस प्रकार जानी जाती है। (यहाँ) बाप (पिता) मरकर पुत्र के रूप में उत्पन्न होता है और पुत्र भी बाप को पुत्र के रूप में स्वीकार करता है। माता (मरकर) सगी बहिन (के रूप में उत्पन्न होती है), पत्नी (मरकर) पुत्री (का जीव होती है) और स्वामी मरकर सेवक के रूप में उत्पन्न होता है। शत्रु (मरकर) भाई के रूप में और भाई (मरकर) शत्रु के रूप में उत्पन्न होता है। मुनिसुव्रतनाथ भगवान के चरणों में नमस्कार करके (बारह अनुप्रेक्षाएँ (भावनाएँ) कहता हूँ) ।।11। संसार-भावना अर्थ - नित्यनिगोद, इतरनिगोद, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय और पृथ्वीकाय प्रत्येक की सात-सात लाख योनियाँ होने से जीव की बियालीस लाख योनियाँ हैं (ये एकेन्द्रिय की योनियाँ हैं)। विकलेन्द्रिय (दो-तीन-चार इन्द्रिय जीवों में) प्रत्येक की दो-दो लाख (योनियाँ होने से छह लाख योनियाँ जानो)। देवगति, नरकगति और तिर्यंचगति तीनों में प्रत्येक की चार-चार लाख (कुल बारह लाख), वनस्पतिकाय की दस लाख, और मनुष्यगति की चौदह लाख योनियाँ होने से इस प्रकार चौरासी लाख जीव योनियाँ कही हैं। मुनिसुव्रतनाथ भगवान के चरणों में नमस्कार करके (बारह अनुप्रेक्षाएँ (भावनाएँ) कहता हूँ) ।।12।। अशुचि-भावना अर्थ - दुर्गन्धित कृमि (कीट) समूह से आच्छादित (ढका हुआ) यह शरीर अपवित्र है, अपवित्रता से सम्पन्न है। शरीर रूपी घर अपवित्र आद्रता (मल-मूत्रादि) से युक्त है। यह शरीर रस, चर्बी, रुधिर, मांस से समृद्ध है। यह शरीर सार रहित व क्षणभंगुर है। बुद्धिमान कैसे उस देह के प्रति आसक्ति में बँधा हुआ है? मुनिसुव्रतनाथ भगवान के चरणों में नमस्कार करके (बारह अनुप्रेक्षाएँ (भावनाएँ) कहता हूँ) ||13 ।। लोक-भावना अर्थ - लोक का आकार निचले भाग में बेंत के आसन के समान, मध्य में वज्रासन के समान और ऊपर का विस्तार मृदंग वाद्य के आकार का होता है। यह (घनोदधि, घनवात और तनुवात) तीन वायुमण्डल से परिवेष्टित है। यह चौदह राजू ऊँचा है। यह किसी के द्वारा भी धारण किया हुआ (नहीं है) और न यह किसी के द्वारा स्थापित है। यह सभी जीवों से भरा हुआ प्रवृत्त है। मुनिसुव्रतनाथ भगवान के चरणों में नमस्कार करके (बारह अनुप्रेक्षाएँ (भावनाएँ) कहता हूँ) ॥14॥
SR No.521862
Book TitleApbhramsa Bharti 2007 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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