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अपभ्रंश भारती 19
21. णं नन्वर्थे।
प्राकृत - व्याकरणम्, 8.4.283;
शौरसेन्यां नन्वर्थे णमिति प्रयोक्तव्यः। वही, 8.4.283 पर वृत्ति। 22. प्यादयः।
प्राकृत - व्याकरणम्, 8.2.218;
पि वि अप्यर्थे। वही, 8.2.218 पर वृत्ति। 23. ही ही विदूषकस्य।
प्राकृत - व्याकरणम्, 8.4.285;
शौरसेन्यां ही ही इति विदूषकाणां हर्षे द्योत्ये प्रयोक्तव्यः। वही, 8.4.285 पर वृत्ति। 24. वररुचि तथा हेमचन्द्र के बीच लगभग 6 शताब्दियों का व्यवधान है।
प्राकृतप्रकाशः, प्रस्तावना, पृ. 32 25. वही, पृ. 34 26. वही, पृ. 30 27. णं नन्वर्थे।
प्राकृत - व्याकरणम्, 8.4.283 28. ही ही विदूषकस्य। वही, 8.4.285
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शिमला-171005 _____ _