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________________ अपभ्रंश भारती 19 सजा प्रसन्न बाण-सा है। उस संगीत पर मुग्ध हुए धरणेन्द्र उसे ‘अमोघ विजय' नामक विद्या देते हैं। लोक से उपमान-चयन - विशाल नन्दन वन में हनुमान द्वारा सीता-दर्शनप्रसंग में स्वयंभू सीता के सौन्दर्य-प्रस्तुतीकरण में जिन उपमानों का प्रयोग करते हैं वे उपमान उनके लोक-भ्रमण का साक्ष्य तो जुटाते ही हैं; स्थान विशेष के वासी और उनके सौन्दर्य की विशिष्ट भंगिमा के अंकन का माध्यम बनकर कवि की पैनी दृष्टि का परिचायक भी बने हैं - वर-पोट्टरिऍहि मायन्दिएहिँ। सिरि-पव्वय तणिऍहिं मण्डिऍहिं। सुललिय-पुट्टिएँ सिङ्गारियाएँ। पिण्डत्थणियएँ एलउरियाएँ। वारमई के रेहिँ वाहुलेहिं । सिन्धव-मणिबन्धहिँ वटुले हिँ। माणुग्गीवएँ कच्छायणेण। उट्टउडे गोग्गडि यहें तणेण । दसणावलियएँ कण्णाडियएँ। जीहएँ कारोहण-वाढियएँ। भउहा जुएण उज्जेणएण। भालेण वि चित्ताऊड एण । काओलिहिँ केस-विसेसएण। विणएण वि दाहिण एसएण।49.8। नन्दीश्वर व्रत-प्रसंग में पुनः कवि इसी चातुर्य से पुष्पमालाओं का ही नहीं, क्षेत्र/अंचल विशेष के नारी-सौन्दर्य को विशेष प्रस्तुति का रूप देता है - एवं च मालाहिँ अण्णण्ण-रूवाहिं। कण्णाडियाहिं व सर-सार-भूआहिँ। आहीरियाहिं व वायाल-भसलाहिँ। वर-लाडियाहिं व मुह-वण्ण-कुसलाहिं। सोरट्ठियाहिं व सव्वंग मउआहिं। मालविणियाहिं व मज्झार-छउआहिं। मरहट्ठियाहिं व उद्दाम-वायाहिँ। गेय-झुणिहिं व अण्णण्ण छायाहिं।71.9। ये चयनित उपमान इस तथ्य का संकेत हैं कि स्वयंभू ने न केवल कर्नाटक, आहीर, सोरट्ठ, मालव, सिन्ध, कच्छ, उज्जैन, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों का परिभ्रमण ही किया था प्रत्युत वे इन क्षेत्रों के लोकमानस की प्रवृत्तियों, उनके सौन्दर्य, वनस्पतियों, पशु-पक्षी-जगत, नदियों-पर्वतों से भी भली-भाँति परिचित थे। उनका यह भ्रमण भले ही धार्मिक विश्वास का प्रतिफलन हो; किन्तु ये वर्णन इस बात का भी संकेत देते हैं कि जहाँ उन्हें काव्य, व्याकरण, नक्षत्र-ज्योतिष, आयुध, संगीत-वाद्य आदि कलाओं का सम्यक् ज्ञान था, वहीं उनकी लोक-जीवन में भी गहरी पैठ थी। सीतादेवी के सौन्दर्य की प्रस्तुति - ज्योत्स्ना की तरह अकलंक, अमृत की तृष्णा की तरह तृप्तिरहित, जिनप्रतिमा की तरह निर्विकार, रति-विधि की तरह विज्ञान
SR No.521862
Book TitleApbhramsa Bharti 2007 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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