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________________ " 'तरंगवईकहा' प्राकृत कथा-साहित्य की सबसे प्राचीन कथा है। उद्योतनसूरि ने 'कुवलयमाला' में इस कथा की प्रशंसा की है। इसी प्रकार धनपाल कवि ने 'तिलकमंजरी' में, लक्ष्मणगणि ने ‘सुपासनाहचरित' में तथा प्रभाचन्द्र सूरि ने 'प्रभावक चरित' में तरंगवती का सुन्दर शब्दों में स्मरण किया है।" " 'तरंगवती' अपने मूलरूप में अब उपलब्ध नहीं है। 1643 गाथाओं में उसका संक्षिप्त रूप ‘तरंगलीला' नाम से उपलब्ध है। 'तरंगवती कथा' के रचयिता पादलिप्तसूरि थे। प्रोफेसर लॉयमन ने 'तरंगवई' का काल ईसवी सन् की दूसरी-तीसरी शताब्दी स्वीकार किया है।" ___ “तरंगवतीकथा में करुण-शृंगार आदि अनेक रसों, प्रेम की विविध परिस्थितियों, चरित्र की ऊँची-नीची अवस्थाओं, बाह्य तथा अन्तर्संघर्ष की स्थितियों का बहुत स्वाभाविक और विशद वर्णन किया गया है। काव्य-चमत्कार अनेक स्थलों पर मिलता है। भाषा प्रवाहपूर्ण एवं साहित्यिक है। देशी शब्दों और प्रचलित मुहावरों का अच्छा प्रयोग हुआ है।" . अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा अपभ्रंश भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए इसके अध्ययन-अध्यापन, 'अपभ्रंश-भारती' पत्रिका का प्रकाशन और 'स्वयंभू पुरस्कार' प्रदान करने के साथ-साथ अपभ्रंश भाषा की अप्रकाशित पाण्डुलिपियों का सम्पादन-अनुवाद करवाकर उनका प्रकाशन भी किया जाता है। पिछले अंक में एक लघु काव्यकृति एवं एक काव्यांश का अर्थसहित प्रकाशन किया गया था। उसी क्रम में इस अंक में श्री जोगचन्द मुणि द्वारा रचित, डॉ. रामसिंह रावत, दिल्ली द्वारा सम्पादित एवं अनूदित 'योगसार दोधक' तथा श्रीमती शकुन्तला जैन द्वारा सम्पादित एवं अनूदित ‘श्री पार्श्वनाथ आदित्यवार कथा' का प्रकाशन किया गया है। इसके लिए हम इनके आभारी हैं। __ जिन विद्वानों ने अपनी रचनाओं द्वारा इस अंक का कलेवर बनाने में सहयोग प्रदान किया, हम उनके आभारी हैं। पत्रिका के प्रकाशन के लिए संस्थान समिति, सम्पादक मण्डल एवं सहयोगी कार्यकर्ताओं के भी आभारी हैं। पृष्ठ-संयोजन के लिए आयुष ग्राफिक्स, जयपुर तथा मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर भी धन्यवादाह हैं। - डॉ. कमलचन्द सोगाणी (ix)
SR No.521861
Book TitleApbhramsa Bharti 2005 17 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size6 MB
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