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अपभ्रंश भारती - 11-12
25 द्वारा दीक्षा ग्रहण करना, स्वर्ग में सीतेंद्र द्वारा राम की परीक्षा परंतु राम का अडिग रहना, इत्यादि घटनाएँ वर्णित की गई हैं। 'मानस' के पाँचवें काण्ड - सुन्दरकाण्ड में वर्णित प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं - हनुमान का लंका को प्रस्थान, सुरसा से भेंट, हनुमान की सीता से भेंट, हनुमान द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस, लंकादहन, सीताजी से विदा लेना तथा उनका चूड़ामणि प्राप्त करना, मंदोदरी -रावण संवाद, विभीषण द्वारा रावण को समझाना तथा रावण द्वारा विभीषण का अपमान, विभीषण द्वारा राम के पास शरण लेना इत्यादि।
'मानस' के छठे काण्ड - लंका काण्ड में नल व नील द्वारा पुल बाँधना, राम द्वारा रामेश्वर की स्थापना, रामचंद्र का सेनासहित समुद्र पार उतरना, मंदोदरी द्वारा रावण को समझाना, अंगद का रावण की सभा में जाना, अंगद-रावण संवाद, युद्धारम्भ, लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध, लक्ष्मण को शक्ति लगना, हनुमान का संजीवनी लाना, त्रिजटा-सीता संवाद, राम-रावण युद्ध, रावण-वध, विभीषण का राज्याभिषेक, सीता की अग्निपरीक्षा, पुष्पक विमान पर सीता तथा राम का अयोध्या आगमन, प्रभृति उल्लिखित हैं। _ 'मानस' के सातवें तथा अंतिम काण्ड - उत्तरकाण्ड में राम का अयोध्या में स्वागत, रामराज्याभिषेक, वानरों तथा निषाद की विदाई, रामराज्य का वर्णन, शिव-पार्वती संवाद, गरुड़ का काकभुशुण्डि से राम-कथा सुनना, ज्ञान तथा भक्ति की महिमा का वर्णन, रामायण माहात्म्य वर्णित करना प्रभृति को मुख्य प्रतिपाद्य बनाया गया है।
1. डॉ. इंदु वशिष्ठ, 'दिनकर के काव्य में वस्तु विधान', पृ. 87, डी. लिट. शोध प्रबंध 1986,
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ। 2. डॉ. गजानन नरसिंह साठे, जैनविद्या-1 (शोध पत्रिका) स्वयंभू विशेषांक, अप्रैल 1984, __पृ. 9, जैनविद्या संस्थान, श्री महावीरजी, जयपुर। 3. डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' विद्याधर काण्ड (प्रथम भाग), पृ. 18,
चौथा संस्करण 1989, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली।
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