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अपभ्रंश भारती 7
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अक्टूबर 1995
अक्टूबर 1995
संदेश-रासक में प्रकृति-चित्रण
- डॉ. महावीरप्रसाद शर्मा
'संदेश-रासक' प्रधान मुस्लिम कवि अब्दुल रहमान की महत्त्वपूर्ण एवं अत्यधिक सुन्दर काव्य-कृति है। अपभ्रंश-साहित्य में लौकिक खण्ड-काव्यों में संदेश-रासक का प्रथम स्थान है। वस्तुतः शुद्ध लौकिक जन-भावनाओं को प्रकृति के साथ जिस मनोवैज्ञानिक धरातल पर अद्दहमाण (अब्दुल रहमान) की यह काव्यकृति प्रस्तुत करती है वह अत्यन्त दुर्लभ है। सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अपभ्रंश के प्राप्त काव्यों में से यही एक काव्य है जो कि एक मुसलमान कवि द्वारा प्रणीत है।'
संदेश-रासक एक लौकिक रासक काव्य है। लौकिक रासक काव्यों का कालान्तर में (जैन-साहित्येत्तर) दो दिशाओं में विकास हुआ। प्रथमत: वीरतापरक रास, रासो के रूप में जैसे - पृथ्वीराज-रासउ, परमाल-रासो आदि तथा दूसरे लौकिक प्रेम-गाथात्मक रास, रासक के रूप में, जैसे - संदेश-रासक, विकसित हुए। ___ बारहवीं शती में लिखित संदेश-रासक का रचनाकार अब्दुल रहमान संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा, उनकी काव्य-रूढ़ियों एवं काव्य-परिपाटियों से पूर्णतः परिचित था। इसके साथ ही वह देशी भाषा का माहिर प्रयोक्ता भी रहा है। उनके इस काव्य पर सर्वत्र भारतीय आदर्शों का प्रभाव देखा जा सकता है। डॉ. रामकुमार वर्मा का यह कथन वस्तुतः कितना सटीक है जब वह कहते है कि "यद्यपि ये मुसलमान थे तथापि इनकी कविता में हिन्दू-संस्कारों की आत्मा निवास कर रही है।14