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अपभ्रंश-भारती-2
(3) तर्हि महाहवे घोर-दारुणे । छि वीर पहरन्तु साहणे ॥
- वही - ऐसे उस घोर महायुद्ध में सेना के भीतर वह वीर प्रहार करता हुआ दिखायी दिया । (4) कि मएण दूसणेण सम्वुणा ।
सायरो किमोह विन्दुणा ॥ - दूषण या शम्बू के मर जाने से क्या ? बूंद से समुद्र का क्या होता है । (5) इन्दणील-वेरुलिय-णिम्मल । पोमराय-मरगय-समुज्जल ॥
- प. च. 55.5 - इन्द्रनील और वैदूर्य से निर्मल पद्मराग और मरकत मणियों से । (6) वर-पवाल-माला-पलम्विर । मोत्तिएक-झुम्बुक-झुम्विर ॥
- वही - उत्तम मूंगों की माला से लम्बमान और झूमरों से झुम्बिर था वह भवन ।
8. चप्पड़
मात्रा - 20, अन्त ल ल । उदाहरण - (1) सूरुग्गमणहाँ लग्गिवि तेरह घडिय',
अवरु वि पंचासहिं तो फ्लहहिं चडियई । होसइ मिहणलग्गु वहुवरमणदिहियरु, त णिसुणेवि वयणु गउ णियघरै वणिवरु ।
- स. चरिउ, 5.4 - सूर्य के उदय होने से तेरह घड़ी और पचास पल चढ जाने पर मिथुन लग्न होगा, जो
वर-वधु के मनों को सुख उपजानेवाला है । ज्योतिषी की यह बात सुनकर सेठ अपने घर चला गया । लहु विवाहसामग्गि असेस पउजिय, बधव सयण इट्ट के के णउ रंजिय । दोहिं वि घरहिं चारु मंडउ विरइज्जइ, दोहि वि घरई असमु तोरणु उब्भिज्जइ ।
- वही - उसने शीघ्र ही विवाह की समग्र सामग्री एकत्रित की । बांधव, स्वजन व इष्टमित्र कौन
ऐसे ये जो प्रसन्न नहीं हुए । दोनों घरों में सुन्दर मण्डप रचे गये । दोनों घरों में अनुपम
तोरण लगाए गए । (3) दोहिं वि घरहिं घुसिणच्छडउल्लउ दिज्जइ,
दोहि वि घरहिं रयणरंगावलि किज्जइ । दोहि वि घरहिँ धवलु मंगलु गाइज्जइ, दोहि वि घरहिं गहिरु तूरउ वाइज्जइ ।
- वही