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________________ अपभ्रंश भारती पठ रित्थाण-बणे रिउ रुक्ख-घणे सिंहासन- गिरिवर मण्डिऍ ॥ पोढ - विलासिरि-लय-वहले वर-वेल्लहले इ-वीर-सोह - परिचडि डऍ ।। 30.5.8 इंद्रजीत अपनी पत्नी से कहता है कि वह राघव के सैनिक वन में प्रलय की आग बनेगा । उस वन में मनुष्यों के पेड़ होंगे जो भुजदंडों की शाखाएँ धारण करते हैं, जो हथेलियों और उंगलियों के कुसुमों से पूरित हैं, सुंदर स्त्रियों की लतानों और बिल्वफलों से युक्त हैं । छत्र और ध्वजाएं जिसमें रूखे पेड़ हैं, अश्व और गज तरह-तरह के वनचर हैं और जिसमें शत्रुनों के प्राणरूपी पंछी उड़ रहे हैं, त्रस्त अश्वरूपी हरिण जिसमें हैं और जो राम एवं लक्ष्मण रूपी शिखरों से युक्त हैं । "दुद्धर-रण रवर-तरुवर - पियरे ॥ भुवखंड- चंड-जालोलि धरे । करयल पल्लव णह - कुसुम भरें ॥ मणहर- कामिरिण - लय- वेल्लहले । छत्त-द्वय- सुक्क-रुक्ख बहले ।। हय-गय-वरणयर-रगाणा विहऍ । रिउ पारण-सुमुड्डाविय-विहऍ ॥ उत्तट्ठ- तुरंगम - हरिण हरे । हरि हलहर - वर-पव्वय सिहरें ।। 85 - 62.11.4-8 अधिकता, विशालता एवं दृढ़ता व्यंजित करने के लिए कवि ने बार-बार पहाड़ का बिंब खड़ा किया है । 4. वायव्य बिब वायु के बिंब भी स्वयंभू के काव्य में मिलते हैं । ग्रीष्म का अंत कवि को कैसा लगता है, देखिए - हवा में हिलते डुलते लाल कोंपलवाले वृक्ष मानो इस बात की घोषणा कर रहे थे कि ग्रीष्म राजा का वध किसने कर दिया । रत्तपत्त तरु पवणाकंपिय । 'केण वि वहिउ गिम्भु' गं जंपिय । 28.3.8 राम के भीषण चाप- शब्द को सुनकर विद्या उसी तरह थर-थर कांप उठी जैसे हवा से केले का पत्ता । तं भीसणु चावस-सुणेवि केलि व वाएं थरहरिय | 43.17.9 राजा महेंद्र के लकुटिदंड के प्रहार से हनुमान उसी प्रकार गिर पड़ा जिस प्रकार दुर्वात से वृक्ष गिर पड़ता है । तेण लउडि- दण्डाहिधाएँणं । तरुवरो व्व पाडिउ बुवाऍणं ।। 46.8.2 विपरीत हवा में उड़ता हुआ ध्वज-समूह दूर से ऐसा शोभित हो रहा था मानो राम और लक्ष्मण के आने पर रावण का मन ही डगमगा रहा हो । धय-विहु पवण - पडिकूलउ दूरत्थेहिं विहावियउ । लक्खर - रामायणे रेंग रामरण- मणु डोल्लावियउ ।। 56.14.9 उपर्युक्त बिंबों द्वारा कवि ने सुंदर चित्र प्रस्तुत किये हैं ।
SR No.521851
Book TitleApbhramsa Bharti 1990 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1990
Total Pages128
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size8 MB
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