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अपभ्रंश-भारती
3. कसु केरउ एवड्डु दुहु, वणे अच्छहों जेण रूअन्तियउ ।।1 4. पुणु विपलाउ करन्ति ण थक्कइ, कुढे लग्गउ लग्गउ जो सक्कइ2
5. सहुँ साहणेण कंटइय देहु, प्रावन्तउ दीसइ कवणु एहु ।73 2.2.31 क्रियार्थक क्रिया+मूल क्रिया
1. रयणिहि-भवणु व णिदिवउ, किर उट्ठवण करेइ पडीवउ । 2.2.2 पूर्वकालिक क्रिया+मूल क्रिया
1. परियंचेवि णवे वि थुणेवि रिणविट्ठ, सयल विजणुवय लयन्तुदिट्ठ ।75
2. एम भणेवि तेण हक्कारिउ, 'कहिँ तियले विजाहि' पच्चारिउ । . 2.2.33 क्रियायंकाभ्यास
1. कहिं वि घोर-भंडणं, सिरोह देह खंडणं ।
णरिन्द-विन्द दारणं, तुरंग-मग्ग वारणं ।77
2.2.34 वर्तमानकालिक कृदन्ताभ्यास
1. भज्जतं महरहाई जुज्झतं सुहडाई, णिग्गंत अंताई ।
भिज्जत गत्ताई, लोहंत चिन्हाई, तुटुंत छत्ताई ।78 2. वुच्चइ मरह णराहिवइ, सर मज्झि तरन्ततरन्ताई।79
3. तेहएँ वि महारणे, मेइणि कारणे, रहोतरन्तितरन्ति पर 180 2.2.35 भाववाच्याभ्यास
1. अहो धरहि विहीसण जत्ताई, वणे मेच्छहि पिट्टिज्जन्ताई ।81
2.2.36 अनुकरणात्मक क्रियाभ्यास
1. दुमुदुमु दुमंत दुंदुहि वमाल घुमु घुमु, घुमंत घुमुक्कतालु ।
सिमि, सिमि सिमंत झल्लरि णिहाउ ................ 182
2: कत्थइ वोल्लावोल्लि वरावरि, कत्थइ ढुक्का ढुक्कि धराधर 183 2.2.37 अवधिपरक क्रियाविशेषण/गरणनीय/प्रगणनीय
1. जो जाय-दिणहों लग्गेवि सणेहु, सोबल-लक्खणहं खयहाँ णेहु ।84 2. अज्जहों लग्गेवि तुहं महु राणउ ।85 3. वसुहार पवरिसिय पुणु विताम, अण्णु वि अट्ठारह पक्खजाम 186 4. तीस पक्ख पहु पंगणऍ, वसुहार वरिट्ठी ।87 5. तहाँ दिवसहों लग्गेवि अधु वरिसु, गिन्वाण परिसिय रयण वरिसु ।88
2.2.38 प्रकरणाश्रय/संदर्भाश्रय
1. जिह जिह मारुइ समरें णभज्जइ, तिह तिह कण्ण णिरारिउ रज्जइ ।89