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________________ 108 अपभ्रंश भारती पाठ 13 अम्हे । . हम दोनों हम सब अम्हई । क्रियाएं हस हंसना, सय=सोना, रगच्च-नाचना, रूस रूसना, लुक्क छिपना, जग्ग=जागना, जीव=जीना, विधि एवं प्राज्ञा हम दोनों हँसें। हसमो/हसामो/हसेमो प्रम्हई । हम सब हँसें। अम्हे सयमो/सयामो/सयेमो _____हम दोनों सोवें। हम सब सोवें। मम्हे । अम्हे हम दोनों नाचें। णच्चमो/णच्चामो/रणच्चेमो अम्हई । हम सब नाचें। अम्हे । रूसमो/रूसामो/रूसेमो हम दोनों रूसें। अम्हई । हम सब रूसें। अम्हे । लुक्कमो/लुक्कामो/लुक्केमो ____हम दोनों छिपें । हम सब छिपें । अम्हे । जग्गमो/जग्गामो/जग्गेमो ____हम दोनों जागें। प्रम्ह हम सब जागें। पम्हे । । जीवमो/जीवामो/जीवेमो हम दोनों जीवें। अम्हई । हम सब जीवें। =हम दोनों/हम सब उत्तम पुरुष बहुवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम) 2. विधि एवं प्राज्ञा के उत्तम पुरुष बहुवचन में 'मो' प्रत्यय क्रिया में लगता है । 'मो' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'पा' और 'ए' भी हो जाता है। . 3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता अम्हे/अम्हई के अनुसार क्रियाओं के पुरुष और वचन हैं । यहाँ अम्हे अम्हई उत्तम पुरुष बहुवचन में हैं तो क्रियाएँ भी उत्तम पुरुष बहुवचन में हैं।
SR No.521851
Book TitleApbhramsa Bharti 1990 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka, Chhotelal Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1990
Total Pages128
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size8 MB
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