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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क. सूरचंद्ररचित स्थूलभद्रचरित्र प्रशस्ति। लेखक : श्रीयुत भंवरलालजी नाहटा 'जैन सत्य प्रकाश'के गत वर्षः १९ छठे अंकमें कविवर सूरचंद्रके 'पदैकविंशति ग्रंथ'का परिचय देते हुए उनके 'स्थूलभद्र महाकाव्य के अपूर्ण प्रति-उपलब्धिका भी उल्लेख किया गया था । इस लेखके अंतमें लिखा था कि-" संयोगकी बात है कि कवि सूरचंद्रकी तीनों महत्त्वपूर्ण रचनाओंकी एक-एक प्रति ही और वह भी अपूर्ण प्राप्त है, अतः 'पंचतीर्थी श्लेषालंकार स्तव, स्थूलभद्र गुणमाला चरित्र' और प्रस्तुत ग्रंथकी भी पूर्ण प्रतियोंका पता लगाना आवश्यक है।" ___ हर्षकी बात है कि इसके बाद शीघ्र ही पं. अभयचंद्र भगवानदास गांधीसे मुझे सूचना मिली कि स्थूलभद्रचरित्रकी पूरी प्रेसकापी अन्य प्रतिसे कई वर्षों पूर्व प्रकाशनार्थ करवाई गई थी, वह उनके पास है। मैंने उन्हें ग्रंथकी अंतिम प्रशस्ति भेजनेके लिये लिखा तो उन्होंने कृपा करके मुझे भिजवा दी, जो इस लेखमें प्रकाशित की जा रही है । प्रशस्तिके अनुसार सं. १६८० में संग्रामपुर याने सांगानेरमें इसकी रचना महाराजा जयसिंहके राज्यकालमें हुई । इस ग्रंथका परिमाण ३०९५ श्लोकोंका है। इस ग्रंथकी प्रति मुझे जो प्राप्त हुई थी वह भी प्रायः पूर्ण ही है, पर उसके पत्रांक १, २ और २९ से ३२ ये छ पत्र उस प्रतिमें गायब होनेसे वह त्रुटित और ग्रंथ रचनाकी प्रशस्ति भी उसमें लिखी हुई नहीं है। यह प्रति जोधपुरके केसरियानाथके खरतरगच्छके भंडारमें दाबड़ा नं. १३ पोथी नं. २७ पत्र सं. ३ से ३३ की है। पं. अभयचंद्र गांधी द्वारा मुझे यह सूचना पाकर विशेष हर्ष हुआ कि आचार्य भक्तिसूरिजी महाराज इस ग्रंथकी ग्रेसकापीका अवलोकन कर रहे हैं। यथासंभव प्रकाशनकी व्यवस्था भी हो जायगी। पाठशुद्धि के लिये अन्य प्रतिको आवश्यकता है । आशा है जिन्हें इस ग्रंथकी अन्य प्रतिका पता हो, सूचित करनेकी कृपा करेंगे। यह काव्य बहुत ही उत्तम और प्रकाशन योग्य है। छ ऋतुओंके वर्णन अलग-अलग किये गये हैं जो बहुत ही उत्तम हैं। ___ सूरचंद्रके पदैकविंशति और पंचतीर्थी श्लेषालंकार स्तवकी पूर्ण प्रतियोंकी सूचना भी जिनकी जानकारीमें हो, आशा है शीघ्र ही प्रकाशमें लायेंगे । कविके अन्य अज्ञात ग्रंथोंका भी जिन्हें पता हो सूचित करें। For Private And Personal Use Only
SR No.521727
Book TitleJain_Satyaprakash 1955 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1955
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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