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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२०] જેન સત્ય પ્રકાશ [वर्ष : २० पावापुरीके जलमंदिरका ख्याल इस सरोवरको देखनेसे आता है। ___ इसके उपर एक और पहाडी है जहां खंडित जिनमंदिर व प्रतिमायें आज भी दर्शनको मिलेंगी । सिवाय आंसू बहानेके आप और क्या करेंगे ? जिस समय जैनियोंकी जाहोजलाली रही होगी, उस समय यह पवित्र स्थान अचानक ही लोगोंको अपनी और खींचता होगा थोडी दूर और जाने पर अब भी कुछ सुंदर मनोहर प्रतिमायें आपको देखनेको मिलेगी। थोडी दूर जाने पर आकाशवाणीका स्थान है पर वहां आजकल साहसी आदमी ही जा सकते हैं । सूनसान जगह है । शाशनदेवकी कृपासे श्रद्धालु यात्री बेखटके जा सकते हैं । प्रभुके चरण आज भी यहां सुरक्षित हैं । यह वह स्थान है जहां केवलज्ञानके बाद भगवानने प्रथम वार 'बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय' उपदेश दिया था। इस स्थानसे ऊतरती वख्त सीधे ऊतरनेमें बीचमें एक गुफा मिलती है, जिसमें एक पार्श्वप्रभुकी सुन्दर मूर्ति है जिसे अन्यमतियोंने सिंधुर चढा कर अपने कल्याणकारी देवता बना लिया है । यहां हिंसा नहीं होती। मूर्ति बहुत ही सुन्दर है, और साथ साथ चमत्कारी भी । हृदयके उपर आप श्रीवच्छ देख सकते हैं। नीचे दो सिंहोंके बीचमें धर्मचक्र है । इसी तरहकी कई मूर्तियें मथुराके अजायब घरमें आज भी मौजूद हैं । ऐसी ही एक मूर्ति पटना सिटीके जैन श्वेताम्बर मंदिरमें है । ये मूर्तियां कुशानकालकी है। उपरके नागराज और नीचे पासनको बनानेमें शिल्पकारने कमाल दिखाया है । हर साल हजारों हिन्दू यात्री आसपाससे यहां आते हैं, श्रद्धाभक्तिसे सिंधुर चढाया करते हैं, फल, मीठाइ चढाते हैं, और प्रसाद बांटते हैं और उनकी मनोकामनायें पूरी होती है । उसी रास्तेसे थोड़ी दूर और चलने पर एक छोटी गुफा मिलेगी। इसमें कुछ खंडित मूर्तियां हैं जिन पर सिंधुर चढा चढा कर आकृति बदल दी गई है । इन पवित्र, पुनित चमत्कारिक स्थानोंका क्या जीर्णोद्धार होना आवश्यक नहीं है ? पर किसको है इसकी चिंता ? धर्म स्थानोंका ही पैसा अगर ऐसे जीर्णोद्धारमें लगाया जाय तब क्या हर्ज है ? जहां बहुत पैसा जमा है वहांके व्यवस्थापक क्यों ऐसे कार्यमें खर्च करें, उन्हें तो जमा रुपयोंको अपनी इच्छानुसार काममें लगाना है न । पर अब वह समय दूर नहीं जब ऐसे व्यवस्थापक अपनी सत्ताको छोडनेके लिये मजबूर किये जायेंगे। कई सूबोंमें ऐसे कानून बनाये गये हैं और बनाये जा रहे हैं। बिहार सरकारने हिन्दू रिलिजियस ट्रस्ट एक्ट बनाया है। इसके अन्तर्गत श्वेताम्बर बोर्डको अधिकार है कि वह ऐसे पवित्र स्थानको व्यवस्थित कमेटीको दिला दे जो जीर्णोद्धार कराना चाहे । यह दर्दनाक ब्यान है तीर्थंकर प्रभु शीतलनाथस्वामीका, विच्छेद कल्याणक स्थानका। क्या कोई भाई इसके पुनरुद्धारकी ओर ध्यान देगें। For Private And Personal Use Only
SR No.521719
Book TitleJain_Satyaprakash 1955 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1955
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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