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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री गुणसमुद्रसूरि रचित शांतिनाथचरित्र लेखन-प्रशस्ति लेखक : श्रीयुत भंवरलालजी नाहटा मध्यकालीन जैन-इतिहासके साधन बहुत विस्तृत प्रमाणमें पाये जाते हैं। प्रतिमा-लेखों, ग्रन्थ-प्रशस्तिओं, लेखन-पुष्पिकाओंके अतिरिक्त ऐतिहासिक प्रबंधसंग्रह, काव्य, रास, पदावलियां, तीर्थमालाएं आदि अनेक साधन यत्र-तत्र उपलब्ध हैं । इस बिखरी हुई सामग्रीको एकत्र करने पर जैन इतिहासकी ही नहीं, भारतीय इतिहासकी अनेक गुत्थिएं सुलझ सकती हैं और एक सलंग इतिहास अच्छे रूपमें उपस्थित किया जा सकता है। अब से २० । २५ वर्ष पूर्व इनके संग्रह एवं प्रकाशनका कुछ प्रयत्न हुआ था, पर इधर इस उपयोगी कार्यकी प्रगति कुछ धीमी है। जिसे पुनः जोरोंसे चालू किया जाना आवश्यक है। प्रतिमा-लेखोंकी भाँति ग्रंथोंकी रचनाएं एवं लेखन-प्रशस्तिएं समकालीन लिखित होनेसे इतिहासके महत्त्वपूर्ण साधन हैं। प्रतिमा-लेखोंके प्रकाशनकी ओर थोड़ा बहुत ध्यान गया फलतः १०।१५ जैन प्रतिमा-लेख-संग्रह प्रकाशित हो चुके व अब भी हो रहे हैं। पर प्रशस्ति लेखोंकी ओर बहुत ही कम ध्यान गया हैं। लेखन-प्रशस्तियोंके तो केवल दो ही संग्रह-ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं, जिनमेंसे प्रथम देशविरति धर्माराधक सभा, अहमदाबादसे और दूसरा मुनि जिनविजयजीद्वारा संपादित सिंघी ग्रंथमालासे प्रकाशित हैं । हस्तलिखित प्रतियां लाखोंकी संख्यामें हैं और उनमें से हजारों प्रतियोंमें महत्त्वपूर्ण प्रशस्तिएं लिखी मिलती हैं । अतः उनके अधिक रूपमें प्रकाशनकी अत्यधिक आवश्यकता है । तीन वर्ष हुए जोधपुरके महावीरस्वामी मंदिरके ज्ञानभंडार में माणिक्यचन्द्रसूरि रचित शान्तिनाथचरित्रको प्रति अवलोकनमें आई, जिसमें गुणसमुद्रसूरि-रचित ४१श्लोकोंकी प्रशस्ति भी अंतमें दी हुई है। प्रशस्ति महत्त्वपूर्ण जान कर मैंने इसकी नकल की थी, जिसे यहां पर प्रकाशित की जा रही है। इसके ३३ ३ श्लोकमें हरिभद्रमुनिके शत्रुजय पर अनशन करनेका उल्लेख विशेष महत्त्वपूर्ण है । जिनरत्नकोषके अनुसार मूल शान्तिनाथचरित्रकी रचना सं. १२७६ में माणिक्यचंद्रसूरिने की जो राजगच्छके सागरचंद्रसूरिके शिष्य थे । ग्रंथ ८ स!में है और इसका परिमाण ५५७४ श्लोकोंका है। प्रकाशित की जानेवाली लेखन-प्रशस्ति सं. १४१४ की है। हमें प्राप्त प्रति उसको परवर्ती प्रतिलिपि है जो सं. १६१२ की है। हमारे संग्रहमें सैकड़ों महत्त्वपूर्ण प्रशस्तियों हैं जिनमेंसे चुनचुन कर प्रकाशित की जाती रहेंगी। For Private And Personal Use Only
SR No.521713
Book TitleJain_Satyaprakash 1954 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1954
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
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