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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४ ४] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir અગડદત્તચરિત્ર સુખ'ધી ચાર અન્ય રાસ भवणवणं मझे आमुरभावम्मि वट्टमाणेणं । नियहणणमणेण जे दूमिया ते वि खामेमि ॥ २८ ॥ वंतररूवेण मए केली किलभावओ य जं दुक्खं । जीवाणं संजय तंपि य तिविहेण खामेमि ॥ २९ ॥ जोइसिएस गएणं विसयामिसमोहिएण मूढेणं । जो को विकओ दुहिओ पाणी मे तं पिखामि ॥ ३० ॥ पर रिद्धिमच्छ रेण लोहनिबुडेण मोहवसगेणं । अभियोगएण दुक्खं जाण कयं ते वि खामेमि ॥ ३१ ॥ इय चउगइभावना जे के वि य पाणिणो मए वहिया । दुक्खे वा संविया ते खामेमो अहं सव्वे ॥ ३२ ॥ सव्वे खमंतु मज्झं अहं पि तेसिं खमेमि सव्वेसिं । जं के अवरद्धं वेरं चऊण मज्झत्था ॥ ३३ ॥ नय कोइ मज्झ वेसो सयणो वा एत्थ जीवलोगंमि । itraruneral एक्को हं निम्ममो निचो ॥ ३४ ॥ जिणसिद्धा सरणं मे साहू धम्मो य मंगलं परमं । जिणनवकारी पवरो कम्मक्खयकारणं होऊ ।। ३५ ॥ इय खामणा उ एसा चउगइमावनयाण जीवाणं । मा विसुद्धीए महं कम्मक्खयकारणं होउ ।। ३६ ॥ આ ખામણાકુલક' પોઢણુના શ્રી હેમચન્દ્રાચાર્ય જ્ઞાનન્દિરની ( વાડીપાર્શ્વનાથ ભંડારની) તાડપત્રીય પ્રતિ ઉપરથી ઉતારીને અહીં આપ્યું છે. अगडदत्तचरित्र सम्बन्धी चार अन्य रास [ लेखक - श्रीयुत अगरचंदजी नाहटा " जैन सत्य प्रकाश" के क्रमांक १४३ में प्रो. हीरालाल कापडिया के " धम्मिल अने अगदत्तना चरित्रनी सामग्री " शीर्षक लेख में अगडदत्तचरित्र सम्बन्धी गुजराती रचनाओं का उलेख जैन गुर्जर कविओ भा, ३ के आधारसे किया है। उसके सम्बन्ध में यहां विशेष ज्ञातव्य प्रकाश में लाया जा रहा है । १. उल्लिखित सभी रासों को गुजराती भाषा का बतलाना उचित नही है; इसमें से कई राजस्थानी भाषा के भी हैं । जैन गुर्जर कविओ में केवल गुजराती ही नहीं, पर गुजराती, हीन्दी और राजस्थानी तीनों भाषाओंकी जैन रचनाओं का समावेश है, यद्यपि नामकरण गुजराती प्रधान होने व संकलनकर्ता के गुजराती होने के कारण 'गुर्जर कविओ' रख दिया है । For Private And Personal Use Only २. श्रीसुन्दर के अगडदत्तप्रबन्ध का समय १६६६ ही है, १६३६ होने की आशंका जैन गुर्जर कविओ में की गई वह अविचारित है, क्योंकि रास के आदिमें जिनचंद्रसूरिको
SR No.521639
Book TitleJain_Satyaprakash 1948 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1948
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size13 MB
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