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અંક ૧૨] પારસી ભાષાકા શાન્તિનાથ અષ્ટક
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फुटनोट १. अंजमने तरक्की-ए-उर्दु (हिंद) , दिहली सन् १९४२ । २.बाबत अगस्त १९४७ । परिशिष्ट ।
३. देखिये-पं. लालचंद्र भगवान् गांधी कृत " श्री जिनप्रभसूरि अने सुल्तान महम्मद"। जिनहरिसागरसूरि ज्ञान-भंडार, लोहावट (मारवाड़)। सं. १९९५ ।
४. जैन स्तोत्र समुच्चय पृ. २४७, जैन साहित्य संशोधक खंड ३, पृ. २१-२९ । कुछ सुधार के साथ ओरियंटल कालिज मेगजीन(हिंदी), फरी १९४६ । अंगरेज़ी अनुवाद के साथ डा. सिद्धेश्वर वर्मा अभिनंदन ग्रन्थ । उर्दु लिपि तथा अनुवाद ओरियंटल कालेज मेगजीन (उर्दू) अगस्त १९४७ ।
५. देखिये फुट नोट ३.
७. कल्पित पर्वत का नाम । यहां मेरु पर्वत से तात्पर्य है । ८. अष्टक में नगरादि के नाम प्राकृत रूप में दिये हैं। ९. गोयंद । १०. प्रति में पारसी शब्दों का अंतिम अनुस्वार छोड़ दिया जाता है।
११. जोयद । १२. कोमी+ओ । कौमी शब्द 'रानी' अर्थ में फारसी डिक्षनरी में नही मिला। १३. पियर=पिदर। १४. सि=हस्त, हसि । १५.- निको नेक । १६. चहार० १७ संदि-हस्तंद; वइव ई "और इसने"। १८-शौ-शब । १९ नेक्+इस्पे; इस्पे-इस्पेद-श्वेत । २०-२१ इनका अर्थ फूलों की माला और लक्ष्मी देवी का अभिषेक होना चाहिये। २२ पाठ संदिग्ध । २३ सूइ-शूय-शौहर । २४ षो खुद ।
२५ खुदहकाम "स्वाधीन"। २६ ऊरा, ओरा । २७ षासा=स्वास्त 'इच्छा' । २८ हमल (लिपि की भूल )। २९=मज्कर । ३० कर्दद । र्द-इद, देखिय उर्दू-उड्दू, पर्दा पड्दा आदि । ३१ कव्वाल ? ३२=कौम ? ३३ खुदावंद, खाविंद । ३४ दुहफ्त "चौदह"। ३५ पेरा “ भूषण"। ३६=फदलिफ़ज़ल। ३७ यहां स्त>ष्ट । ३८ कौमि=रानी। ३९ विलायत । ४०=नेस्त । ४१=बयक । ४२ रोजी रोज+ई । ४३ तबाह "नाश"
४४=बदकारी ? ४५ सकील ?. ४६ एमिना 'मुक्त,' 'सिद्ध'। ४७ यह अरबी के शब्द प्रतीत होते हैं। कदाचित् कुरान शरीफ में से हों। ४८-शेब+स्सान " नीची जगह," "नरक"। ४९ गहिल कुंड का कुछ अर्थ समज में नहीं आया। पंज्या पंजह, "पकड, बंधन"। ५० पाठ भ्रष्ट । कदाचित् रहम “दया"+अल अफू 'क्षमा, कृपा' । ५१ फितिरीदी ? " फ़ित्र ईद का महिना, शव्वाल"। ५२ कर्द अम।
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