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म १० ]
શ્રો કેસરિયાજી તીથ
[ २८७
(८) कलम ६ और ७ के अनुसार किये गये हुकुम और सूचनाओं को कानुन का
बल रहेगा ।
(९) निधिने हर साल जांच कराया हुआ ( Audited ) हिसाब बडी अदालत में दाखिल करना पडेगा ।
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(१०) निधिकी किसी भी संस्था, सम्पत्ति, फंड या आमदानी पर लगान नहीं लगाया जायगा । [३] सरकारी ऐलानका हिन्दी भाषान्तर
उदयपुर ता. ५ जून ४७.
नं. १०३३८, ५८९ । ९० पोल ओफ १९४७
१. श्रीमान् महाराजा साहब बहादुरने वैशाख वदी १ सम्वत् १९९० को ध्वजादण्ड कमीशन नियुक्त किया था, जिसमें निम्नलिखित व्यक्ति थे
१ - राजा अमरसिंहजी बनेड़ा
२- मि० सी० जी० सेनविक्स ट्रेंच
३- मि० बी० एल० भट्टाचार्य और
४ - मि०
० आर० एम० अन्तानी
उक्त कमिशनने अपनी रिपोर्ट ता० १० एप्रिल सन् १९३५ को प्रेषित की। २. रिपोर्टसे नीचे लिखी हुई सत्यता मालूम हुई
ए- यद्यपि यह मूलसे दिगम्बरी मंदिर है, तीर्थ ऋषभदेवजी अस्मृतिकालसे सब संप्रदाके जैनोंसे और हिंदुओं से पूजित रहा है, जिसमें भीलभी सम्मिलित हैं।
बी - इसकी जायदाद व कोष देवस्थानका भाग है, जिस पर वर्तमानकालमें उदयपुरके महारानाके संरक्षक जैसे अधिकार हैं, और जिस पर वे दो शताब्दियोंसे प्रबंध व व्यवस्थाके सब अधिकारका उपयोग कर रहे हैं, जिसमें धार्मिक क्रियाएं करने देनेकी स्वीकृति देनेके अधिकारका भी समावेश है ।
सी-मंदिर पर ध्वजार्दंड चढ़ाना उत्सवका एक आवश्यक भाग है और उसके साथ यह भी संबन्धित है।
(ए) - मूर्ति की प्रतिष्ठा या मंदिरमें वेदीकी स्थापना |
(बी) - मंदिरके किसी मुख्य भागका जीर्णोद्धार ।
(डी) - ध्वजदंड निम्न मौको पर धार्मिक क्रियाओंके साथ चहाया जाता है
(ए)
)- सब क्लास 'सी' में वर्णित परिस्थितिमें ।
(बी) - जब कि ध्वजादंड नीचे गिर गया हो ।
(सी) - जब कि ध्वजा फट गई हो और फिर आरोहण कराई जाय ऐसे अवसर -
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