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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir કતિષય ઓર સિલેકે [ ૨૫૫ ९. लेखमें उलिखित शलोकोंकी संख्या २२ बतलाई है वहां सूची निर्देशके समय तो होरविजयसूरि शलोकेको सम्मिलित करके और परिचय देते हुए उसको छोडकर भी अन्य २२का परिचय दे दिया गया है। यह भूल वास्तवमें पहले संख्या लिखने में कर दी गई है। यहां सिद्धाचल शलोकाको गणनामें सम्मिलित नहीं किया गया। परिचयमें हीरविजयमूरि शालोकेको छोड़ दिया अत: संध्या मिल गई, पर होती २३ है, और शालिभद्र श्लोका उदयरत्न रचितका भी परिचय नहीं दिया अतः कुल संख्या २४ होती है। अष्टापद व आदिनाथको भिन्न २ लिखनेसे २५ होती है। १० एक घटस्फोट कर देना और भी आवश्यक है कि विमल मंत्री शलोके उदयरत्न एवं विनीतविमल दो कवियों के जैन गुर्जर कविओं भा.३में भिन्न २ लिखे गये हैं. पर मिलान करने पर वास्तवमें दोनों एक ही प्रमाणित हुए हैं। विनीत विमलका पुराना है अतः उदयरत्नने ही उसका उद्धरण किया प्रतीत होता है । पता नहीं ऐसे सुकविको दूसरेकी रचना पर अपनी भोहोर--प्रशस्ति लगानेकी आवश्यक्ता क्या प्रतीत हुई ? मैंने मिलाके देखा तो उदयरत्नके नामसे प्रकाशित शलोके की गा. १०७ तक विनीत विमलवालेगें भी पाई गई। अब मैं अपनी नवीन जानकारीका लाभ पाठकों को दे रहा हूं प्रकाशित १. शलोकासंग्रह भा. १का गुजराती लिपिमें सर्व प्रथम प्रकाशन सं. १९३८में हुआ था, जिस ग्रन्थका टाइटल पेज मेरे संग्रहमें है। यह बम्बईके जगदीश्वर प्रेसमें छपा था पर प्रकाशकका नाम नहीं है, फिर भी इस टाइटल पेजमें इसमें ९ शलोकोंका संग्रह लिखा है अतः १९६० में देवनागरी लिपिमें प्रकाशित भीमसी माणेकके शलोला संग्रहकी ही यह प्रथमावृत्ति प्रतीत होती हैं। २. उपर्युक्त भीमसी मागेकके प्रकाशित शलोकासंग्रहों ये ९ शलोके छपे हैं १ नेमिनाथ शलोको गा. ५७ उदयरन । २ शालिभद्र शलोको गा. ६६ उदयान सं. १७७० मि. सु. १३ आइज ३ भातबाहुबलि शलोको गा. ६८ उदयरत्न ४ शंखेश्वर पार्श्वनाथ शलोको गा. २३ उदयरत्न ५ आदिनाथ शलोका गा. ५५ विनीतविमल ६ शंखेश्वर शलोको गा. ४६ दीपविजय४ सं. १७८४ भा. सु. ५ ४ जै. गु. क. भा. ३ पु. १४२४ के अनुसार दीपविजयके शिष्य देवविजयरचित है यह वही है। For Private And Personal Use Only
SR No.521632
Book TitleJain_Satyaprakash 1947 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1947
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size18 MB
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