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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir અંક ૫-૬ | શ્રી તારણુસ્વામી ઔર ઉનકા સમાજ [ ૧૩૯ पत्रांक २ में यंत्र मात्रा पताका, मात्रामेरु । पत्रांक ३ में--वर्णमेरु, मात्रामेरु, वर्णपताका । पत्रांक ४ में--मात्रामर्कटी, वर्णमर्कटी। पत्रांक ५ A में--इति वृत्तिमौक्तिके मात्राछंदमर्कटी। अथ मात्रानष्टम् । पत्रांक ८ में--वर्णमेरु, वर्णपताका । पत्रांक ९ में--मात्राछंदमेरु, मात्रामेरु, मात्रापताका । पत्रांक १० में--अथ वर्णमर्कटीकरण, मात्रामर्कटी। अंत-एते १ वर्ण २ मात्राभ्यां चतुर्विंशतिः कौतुकहेतुः । कोटयस्त्रयोदश । चत्वारिंशल्लक नगाः भू १७ सहस्राणि षड्विंशत्यग्रा सप्तशती पुनः ॥ १ ॥ प्रस्तारपिण्डसंख्येयं विवृता वृत्तमौक्तिके । बोधनात् साधनात् साम्या (?) येषां नालस्यवश्यता ॥२॥ उद्दिष्टादिषु वृत्तमौक्तिकमिति व्याख्यातवान् श्वेतासक् श्रीमेघाद्विजयाख्यवाचकवरः प्रौढ्या तपाम्नायिकः । यत् सम्यग् विवृतं नवाऽनवगमान्मिथ्याधृतं सजनैस्तसंशोध्य शुभं विधेयमिति मे विज्ञप्ति मुक्तालता ॥३॥ समित्यर्थाश्वभू (१७५५) वर्षे प्रोढिरेपा भवत् श्रिये । भान्वादिविजयाध्यायहेतुतः सिद्धिमाश्रित ॥ ४ ॥ इति वृत्तमौक्तिकदुर्गमबोधः॥ - इस प्रतिके कुल पत्र १०, प्रतिपत्र पंक्ति २१, प्रति पंक्ति अक्षर ६० से ६४ । ४ पत्रोमें मंत्र हैं। श्री तारणस्वामी और उनका समाज (लेखक-प्रो० मूलराजजी जैन) आल इन्डिया ओरियंटल कान्फरन्सका तेरहवां अधिवेशन गत अक्तूबरमें नागपुर (सी० पी० ) में हुआ । उसमें जैन विद्याभवनकी ओरसे प्रतिनिधि रूपसे संमिलित होनेका मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस कान्फरन्समें प्राकृत और जैन धर्म सम्बन्धी पृथक् विभाग था जिसके लिए भारतवर्षके भिन्न २ प्रान्तोंके जैन तथा अजैन विद्वानोंने बड़े महत्त्वपूर्ण निबन्ध लिखे थे। एक निबन्ध श्री तारणस्वामी और उनके समाजके विषयमें था। यह पहला अवसर था कि मैंने तारणस्वामोका नाम सुना । खोज करने पर विदित हुआ कि सी० पी० में तारण समाजका काफी प्रचार है । नागपुर (इतवारा पेठ) में अखिल भारत For Private And Personal Use Only
SR No.521629
Book TitleJain_Satyaprakash 1947 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1947
Total Pages52
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size24 MB
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