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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७२ ] શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ [वर्ष ११ ऋषभस्तवन में और विक्रमसिंहरचित पारसी भाषानुशासन में फा० वांद (ख्वाद) का अर्थ स्वामी किया है। ख्वाद और खुद दोनों खावंद के संक्षिप्त या भ्रष्ट रूप हैं। २. श्रीकरी थारापद्रनगरे लघुकाश्मीराभिधाने पश्चिममण्डलीकबिरुदः श्रीश्रीमालज्ञातीयः सं० आभूः । यस्य यात्रायां सप्तशतदेवालयाः, एवसहस्रपञ्चशतदशोत्तर जिनबिम्बानि; ४ सहस्रशकटानि, पञ्चसहस्राणि तुरंगमाणां, २२ शतोष्ट्राः, ९० सुखासनानि, ९९ श्रीकर्यः, ७ प्रपाः, ४२ जलवाबलीवः ..... (उप० तरं०, पृ० २४५) द्विसहस्रश्वेताम्बर तपोधनाः, ११ शतदिगम्बराः, १९ शतश्रीकर्यः, ४ सहस्रतुरंगमाः, द्विसहस्रोष्टाः... (उप० तरं०, पृ० २४७) यहां श्रीकरी डोली या पालकी जैसा कोई वाहन प्रतीत होता है। यह शब्द MW७ में नहीं मिला । विक्रमसिंह के पारसी भाषानुशासन में 'छत्रु ताऊसी' का पर्याय 'सीकरी' दिया है जो श्रीकरी का रूपान्तर दिखाई देता है। कदाचित् सीकरी देशी शब्द हो जिस को संस्कृत रूप देने के लिये श्रीकरी बना दिया । उपदेशतरङ्गिणी में सीकरी शब्द भी आता है-वांकावीरपधोरणहार सोकरीघोरंधार (उप० तरं०, पृ० ५३), पर यहां सीकरी का अर्थ निश्चित नहीं हो सका। ३. जोत्कार - तत्प्रतिबोधनोपकारकरणा) दूरदेशान्तरस्थमागिनेयरूपं कृत्वा तद्गृहं गतः। मातुलान्या जोत्कारः कृतः । पृष्टं-मातुलः कास्ति । (उप० तरं०, पृ० २०१) प्रसंग से स्पष्ट प्रतीत होता है कि यहां जोत्कार का अर्थ प्रगाम है। परंतु यह संस्कृत का शब्द नहीं प्रत्युत प्राकृत जोक्कार को संस्कृत रूप दिया गया है जिससे गु० जुहार शब्द बना है। इसकी व्युत्पत्ति पर विस्तृत विचार हो चुका है। कदाचित् इसका संबन्ध हिंदी जी, जीउ, जू (सं० जीव) से हो-जैसे-रामजी, कृष्णजीउ, हरिजू । इस दशामें जोत्कार के ओ का समाधान हो जाता है । अथवा यह शब्द झुक-जूख–से बना हो क्योंकि प्रणाम भी झुकने को हो कहते हैं। ५. जैन साहित्य संशोधक, पूना, खंड ३, पृ. २१-५९ । ६. ओरियंटल कालेज मेगजीन, लाहौर। फर्वरी १९४६ । पृ० २३, श्लो० २१ ७. Monier Monier-Williams: Sanskrit-English Dictionary. Oxford, 1899. ८. फुटनोट ६ पृ. ५, प्रलो० ३८ । ९. जैत सत्य प्रकाश, व. ९, अं. ७, क्रमांक १०३, पृ. ३५१-४। For Private And Personal Use Only
SR No.521623
Book TitleJain_Satyaprakash 1946 07 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1946
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size18 MB
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