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ઉપકેશગચ્છ-પટ્ટાવલી (२१) सिद्धमूरि पट्ट एकविंश, सिद्धसंपतपूरिय । नेत्रनेत्रपट पूज्य विज्ञ, (२२) रत्नप्रभसूरि य ॥ वसुवेद० ॥७॥ (२३) यक्षदेवसूरिसु, नयनगुनपट्ट भनीजै । । अक्षिवेदपट्ट (२४) कक्कसरि, गुनवन्त गनीजै ॥ लोचनशरपट्ट (२५) देवगुप्तसरि सुखदायक । (२६) सिद्धसरि षटविंशपट्ट, मुनिजनगननायक ॥ वसुवेद० ॥८॥ (२७) श्रीरत्नप्रभसूरिसु, त्रिनवपट्टपूजित जानिय । (२८) यक्षदेवमूरिसु, अष्टविंशतिपट्ट मांनोयै ॥ ... उनत्रिंशपट, (२९) कक्कमूरि गुनगंर्भ रहु । (३०) देवगुप्तहरिसु पट्ट गुननभ अत(ति)धीरहु ॥ वसुवेद० ॥९॥ शिवलोचनशशिपट्ट, (३१) सिद्धमुरि सुखकारिय । (३२) श्रीरत्नप्रभसूरि, सकलभविजनभवहारिय ॥ द्वात्रिंशतपटपूज्य, प्रखरपंडितअवधारिय । (३३) यक्षदेवसरिसु, देवगुनपट्ट विचारिय ॥ वसुवेद० ॥१०॥ (३४) कक्कसूरि चवतीस पट्ट, भेअतपधारिय । जिनबंधन पुन विपत, सेठ सोमककी टारिय ।। देवीदर्शनप्रतख, छंड भंडार सुडारिय । नाम उभे द्वाविंश, अपरगणशाखानिकारिय ॥ वसुवेद०॥११ ॥ (३५) देवगुप्तसूरिसु पट्ट, गुनसरवर जांनीय । (३६) सिद्धसरि गुनभूरि, रामरसपट्ट वखानिय ॥ .. शिवलोचनमुनिपट्ट, (३७) कक्कसूरि चित आनिय । (३८) देवगुप्तसूरिसु पट्ट, पावकसिद्धि मांनिये ॥ वसुवेद० ॥१२॥ गुननिधि गुननिधिपट्ट, (३९) सिद्धसूरि सुभ जानहु । (४०) कक्कसूरि तपभूरी पट्ट, विधिमुखखं वखानहु ॥ (४१) देतगुप्तसूरिमु पट्ट, वारधिशशिमानहु । वीणावाधप्रवीन, हीनक्रिय कछुक प्रमानहु ॥ वसुवेद० ॥१३॥ सकल संघ मिल (४२) सिद्धसूरि, मुनिनायक थप्पे । . वारिधिलोचनपट्ट, अखिलतपतेजअम्मप्पे ॥ पट्ट वरणगुन (४३) कक्कसरि, श्रावकअघहारक । निजमुख पंचप्रमाणग्रन्थ, रच ज्ञानप्रसारक ॥ वसुवेद० ॥१४॥
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