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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कतिपय स्तोत्रों के रचयिताओं के विषयमें नया प्रकाश लेखक:- श्रीयुत अगरचन्दजी नाहटा, बीकानेर I जैन स्तोत्र - साहित्य बहुत ही विशाल एवं महत्वपूर्ण है । कई स्तोत्रोंकी विविध विशेषताओंने उसमें चार चांद लगा दिये हैं । जैन स्तोत्र - सन्दोह भाग १ के परिशिष्ट में स्व. पू. मु. श्री. अमरविजयजी के शिष्य मुनि श्री चतुरविजयजीने जैन स्तोत्र - साहित्यकी विस्तृत सूची प्रकाशित की है। उसके अतिरिक्त सेंकडो अन्य स्तोत्र हमारे अवलोकनमें आये हैं एवं यत्र तत्र प्रचुर प्रमाणमें पाये जाते हैं । इस लघु लेखमें कतिपय स्तोत्रोंके रचयिताओंके सम्बन्धमें नवीन प्रकाश डाला जाता है । आशा है साहित्य सेवी विद्वानोंको वह उपयोगी प्रतीत होगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ जैन स्तोत्र - सन्दोह भाग १ में प्रकाशित जैन स्तोत्रोंकी सूची में निम्नोक स्तोत्रोंके कर्ता के नाम नहीं हैं, . पर हमारे संग्रहकी उपलब्ध प्रतियोंमें उनके नाम पाये जाते हैं। अतः उनके कर्ताके नाम दिये जाते हैं A " श्री पार्श्वनाथ तमहं " कर्ता श्री जिनकुशलसरि । B" आदौ नेमिजिनं नौमि " कर्ता जयतिलक । C “ श्रेयो दधानं " पार्श्वनाथस्तव, गाथा १७ ( संसारदावा 'की पादपूर्तिरूप ) इस स्तोत्र के कर्ता के विषय में अन्तमें इस प्रकार उल्लेख किया है - " इति श्रीमंडपाचलमंडन श्री पार्श्वनाथस्तोत्रं कृतं खरतरगच्छीय श्री सिद्धान्त रुचिमहोपाध्यायैः " । B श्री जिनदत्तस्वरिशिष्य उपाध्याय D " ऋषभजिन ! भवन्तं " अपूर्णकी नोंध है। उसकी पूर्ण प्रति हमारे संग्रहमें है। उसके रचयिता खरतरगच्छीय जयसागर उपाध्याय हैं । २ निम्नोक दो स्तोत्रोंके रचयिताओंके नाम प्रसिद्ध नामोंसे भिन्न पाये जाते है A जैन स्तोत्र - सन्दोह भाग २ में मंत्रादि गर्भित पार्श्वनाथ स्तोत्र छपा है जिसके रचयिता पूर्णकलश हैं। बीकानेर भंडार में इस स्तोत्रकी तीन प्रतियां देखने में आई जिनमें इसके रचयिता श्री जिनदत्तसूरि बतलाये हैं । अतः प्राचीन प्रतियोंकी खोज कर कर्ताका निर्णय करना आवश्यक है । " श्री जैन सत्य प्रकाश मासिकपत्रके वर्ष ५. अंक १२ में उवसग्गहर स्तोत्रकी पादपूर्ति " स्तोत्र मैंने प्रकाशित किया है। उसकी For Private And Personal Use Only
SR No.521583
Book TitleJain_Satyaprakash 1942 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1942
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size22 MB
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