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અંક ૮]
સિહના જિલ્લા મેજીસ્ટ્રેટને ચુકાદો
[४३७
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न्सिल का हुक्म नं. ३६ P. जारी किया गया व उसके बमुजिब ताः १८ जनवरी को वैष्णव लोग दर्शन अम्बावजी का लेने को आये. उस वक्त महाजनों ने वैष्णव ढेडों पर हुमला किया, जिससे वैष्णवों में बहुत अशान्ति हुई वो मजमा इकट्ठा हो रहा है. बलवा होनेका अन्देशा है. लिहाजा दफा १४४-१४५-१४६ जा. फौ. के माफिक कार्रवाई की जावे व रिसीवर कायम की जावे व हक मन्दिर अम्बावजी का किसका है यह तसफिया किया जावे ।
रिपोर्ट सबइन्सपेक्टर वसूल होने पर सबइन्सपेक्टर का बयान कलमबन्द किया गया । बयानात तहरीरी-अम्बावजी के मन्दिर के हक हकूक बाबद जैन महाजनान की तरफसे बयान तहरीरी पेश हुआ । वैष्णवों की तरफ से पेश नहीं हुआ. दो तरफा बयानात गवाहन के कलमबन्द कीये गये जिनमें वैष्णवान की तरफ से हवा वो ठाकुर मेघसिंहजी साहेब जावाल व अचला सोमपुरा ब्राह्मण वो महाजनांन की तरफ से सांकलचंद वो अचला सुनार यह पेश हुए। मामले हाजा में जैन महाजनांन की तरफ से बहुत कुछ तहरीरी शहादत व गवाहान पेश करने के लिए कह गया, मगर दोनों पार्टीज को यह वक्तन फ वक्तन हिदायत की गई के यह मामला सिर्फ जेर दफा १४५-१४८ जा. फो. पाया जाता है. लिहाजा जो मन्दिर मजकूर का कबजा या हकूक पुलिस की तरफ से रिपोर्ट होनेके पेटतर को तीन माह में भोगवट में होंगे, उसका सबूत लिया जायगा । और सबूत नहीं लिया जायगा. लिहाजा सबूत सिर्फ इस हद तक ही लिया गया. यह बात हदा भी गवाह वैष्णवान मानता है, के गये दशहरे से यानि सितम्बर आखिर के इस तरफ अम्बावजी के मन्दिर का कवजा जैन महाजनान का है । बलकि यह बात भी साबित है के--अम्बावजी का पूजा-पाठ गुजिकता तीन माह में जैन महाजनान की तरफ से ही कीया गया है। जिस बाबत गवाह अचला सुनार महाजनान की तरफसे पेश हुआ है जो खुद वैष्णव है वह कहता है. बलके रोकड '९८ के कार्तिक सुद १ पंच महाजनान जावाल की नकल Ex. १५ पेश हुई है, जिससे पाया जाता है कि २० । पूजारी को तनखा अम्बावजी वो आदेश्वरजी की पूजा की दी गई है । जो राबल ओटा को दी गई । इस बाः रियासत सिरोही स्टेट काउन्सिल का हुक्म ताः १६-१-४२ का सादिर हुवा था जिसमें यह हुक्म हुआ था के वैष्णव लोगों की अम्बावजी मजकुर के दर्शनकी रुकावट न हो।
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