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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाह हुकुमचंदजी सुराणा लेखक-श्रीयुत हजारीमलजी बांठिया, बीकानेर शाह हुकुमचंदजी सुराणा, राव अमरचंदके लघु भ्रता थे । आप भी बडे धीर पराक्रमी योद्धा थे । आपका सारा जीवन बीकानेर राज्यकी सेवा और रणस्थल में बीता था । आपके जन्म और स्वर्गवासकी तिथि अभी तक निश्चित नहीं हो पाई है । आप निःसंतान ही स्वर्गवासी हो गये थे । _ वि. सं. १८७१ ( ई. स. १८१४ ) में बीकानेर राज्यका चुरु पर अधिकार करने के पश्चात् वहांक थाने पर शाहजी हुकुमचंदजो सुराणाको थानेदारके पद पर नियुक्त किया गया। वि. सं. १८७३ (ई. स. १८१६) में पृथ्वीसिंह चुरुवालेने रतनगढ पर अधिकार कर लिया । जब यह समाचार महाराजा सूरजसिंहजीको मालूम हुवा तो उन्होंने हुकुमचंदजी को फौज मुहासिब बनाकर रतनगढ भेजा। शाहजीने वहाँ पहुँचकर पृथ्वीसिंहसे लडाई कर रतनगढ खाली करा लिया। हुकुमचंदजी की इस सफलता से महाराजा सूरजसिंहजो बडे प्रसन्न हुवे और उन्हें दीवानगी प्रदान की। वि. सं. १८८६ (ई स. १८२९) में जैसलमेर इलाकेके गांव राजगढके भाटी राजसी आदि बीकानेर के सरकारी सांढोका टोला पकड ले गये । जब सांढोका टोला भाटीयोंने वापिस नहीं दिया तो बीकानेर से सुराणा शाहजी हुकुमचंदजीकी अध्यक्षता ३ हजार सेना जसलमेर पर भेजी गई । दोनों सेनाओंका वासणपी गांव के पास घमासान युद्ध हुआ । बीकानेरी फौज कम होनेसे जेसलमेरवालोंका विजय हुआ । सुराणाजीके साथ महाजन ठाकुर वैरिसाल व महेता अभयसिंह भी प्रधान सैना संचालक थे । बीकानेर, जयपुर और जोधपुर के कुछ सरदार इधर उधर राज्यम लूटमार कर अपना जीवननिर्वाह करने लगे, जिससे साधारण प्रजाके जीवनका पल पल खतरोंसे भरा रहता था । इसलिए सं. १८८६ के श्रावण मास में मि. जार्ज क्लार्क उपर्युक्त तीनों राज्योंसे मिल, ऐसे सरदारोंको नाश करने के विचारसे सेखावाटी गये। इस अवसर पर महाराजा रत्नसिंहजीने शारजी हुकुमचंदजी एवं मेहता xहिन्दुमलजीको मि. जॉर्ज की सेवामें ऐसे लुटेरे सरदारोंके रोकने के प्रबन्धके लिए सेखावाटी भेजे गए। इसी प्रकार जयपुर और जोधपुरसे बख्शी मुन्नालालजी व भंडारी x आपका जीवनचरित्र भी प्रकट करनेका मेरा इरादा है । For Private And Personal Use Only
SR No.521571
Book TitleJain_Satyaprakash 1941 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1941
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size21 MB
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