SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [१] શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ [११ भाष्यकारने उससे आगे कदम बढाये हैं और थोडासा परिवर्तन करके सारा चतुर्विशतिस्तव पाठ ही उठा लिया है। (१) आवश्यक सूत्र (जिनागम ) में चतुर्विशतिस्तष पाठ इस प्रकार हैलोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे अरिहंते कित्तइस्स चउवीसंपि केवली ॥ सूत्र० १॥ उसभ० सूत्र २ ॥ सुविहिं सूत्र ३॥ कुंथु० सूत्र ४ ॥ एवं मए अभिथुआ विहुयरयमला पहीण जरमरणा । चउवीसपि जिणवरा तित्थयरा में पसीयन्तु ॥ सूत्र ५ ॥ सामायिक भाष्य पृ० १५में चतुर्विशतिपाठ निम्न प्रकार हैथोंसाम्यहं जिणवरे, तित्थयरे केवली अणंतजिणे, गरपवरलोयमहिए, विहुयरयमले महप्पणे ॥१॥ लोगस्सुजोययरे, धम्मतित्थंकरे जिणे बन्दे । अरहते कित्तिस्से, चउधीसं च केवलीणो ॥ २ ॥ उसह० ३ ॥ सुविहिंच०४ ॥ कुंथुच० ५ ॥ एवं मए०६॥ सामायिक-भाष्यमें पहली गाथा नई की है, २-३-४-५ गाथाएं आवश्यकसूजीसे कुछ फेरफार करके ली है, और छठी गाथा आवश्यकसूत्रसे ज्यों की त्यों संगृहीत की है। मगर गाथा १ और ६ में उल्लिखित "बियरयमले" विशेषण दो बार आता है जो प्रथम गाथाकी कृत्रिमताका गवाह बन जाता है ॥ (२) जैन षडावश्यक श्रीसिद्धसेन दिवाकरजी के बाद 'नमोर्हत्सिद्धा. चार्योपाध्यायसर्वसाधुम्यः ॥ १ ॥ पाठ पढा जाता है। दिगम्बर सामायिक भाष्य में भी उस पाठ का अनुकरण मिलता है की .. (पृष्ठ-१६) अर्हसिद्धाचार्योपाध्यायेभ्यस्तथा च साधुम्यः | सर्वजगद्द्येभ्यो नमोस्तु सर्वत्र सर्वेभ्यः ॥ १ ॥ (३) कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रमूरिजीके अविनीत शिष्य बालचन्द्रजीने चैत्यवेन्दनकी चूलिकास्तुति बनाई है। यहां उसकी तीसरी श्रुतस्तुतिको उठाकर सामायिक भाष्यमें श्रुतभक्ति अधिकारमें नोड दी है। वह यह है:-- (पत्र ---४२) अहवक्त्रप्रसूतं गणधररचितं द्वादशांग विशालं, चित्रं बहवर्थयुक्तं मुनिगणवृषभैर्धारितं बुद्धिमतिः ॥ मोक्षाग्रहारभूतं प्रतचरणफलं शेयभावप्रदीपं, भक्त्या नित्यं प्रपद्ये श्रुतमहमखिलं सर्वलोकैकसारं ॥ १ ॥ पत्र ५२ ॥ उपर लिखे प्रमाणोंसे सिद्ध है कि उपलब्ध दिगम्बर सामायिकभाष्य श्री आवश्यक सूत्रके भाष्य के सहारेसे विक्रमकी तेरहवीं शताब्दिके बादमें बना है। यह ग्रन्थ सरासर श्वेताम्बरीय अनुकरण रूप है । For Private And Personal Use Only
SR No.521570
Book TitleJain_Satyaprakash 1941 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1941
Total Pages42
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy