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श्री रैन सत्य
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॥ गांव मलसीसर शाह माणकचंद केसरीचंदको सं. १९०० फागण बदि. ९. । गांव कीतासर माणकचंद केसरीचंदको सं. १८९३ सावण सुदी ६. ॥ गांव चरकडी शाह माणकचंद केसरीचंदको सं. १८९२ श्रावण बदि १
वि. सं. १९०६ में श्रीजी साहेब बहादुरने महरबानी फरमाकर आपको दिवानके पद पर सुशोभित किया। शाह माणिकचंदजीको दीवानगिरी खिजमत इनायतके लिए तत्कालीन बीकानेर नरेशने आपको एक हाथी बख्सा । आपने हाथी न लेकर उसकी कीमत रु. १०००) ली। यह बात एक रुकेम है।
आपको भी स्टेटकी ओरसे मोतीयोंके चौकडोंके रुपये मिले थे, जो रुकोमें लिखे हुए हैं। जिनमेंसे कुछका वर्णन नीचे दिया जाता है।
॥ दीवानगिरी खिजमत इनायत मोतीयोंके चौकडेरा रु. ५००) सं. १९०६ फागण सुदी १ शाह माणकचंदको।
॥ रु. २००) मोतीरा चौकडाका माणकचंदको सं. १८२४ श्रावण वदी २.
॥ रु. ६०) दुसालेरा माणकचंदको सं. १९०० मा. सु. ७ खजान्ची लालचंदसे दराया।
खास सक्कोंकी नकल [१] ।। श्रीरामजी ।। दसकत खास शाह माणक दिसी सुप्रसाद बंचे अपंच थारी बडी चाकरी सझी तु शाह अमरु रो बेटो छै सु चाकरी बखत सु चाकरी ठीक पडै सु हमै म्हारै नीधै आइ तुं परमसामधरमी चाकर छो सु म्है तो लिख देवाछ। पछै था चाकरा रै तौलमें आवै सु करासो कर सु वात ढबे छै सो ढाबलिया वणोरीत भगुतसिंहनै जीव में घात लिया दुधवेरी सेलोरो अजितसिंह नै जीवमें राख बात सारी सल उतारा जे न ढवती दीस तो पाच परदेसी राख जोर दे बात ढाबी परदेशी राखे हुकम छै सीकररौ ठाकुर माल पाछौ घरै सारोडोरी डसै सुधो फरै उवरी हदमें वसै दौड नहीं जारा तो बात ढाबलिया कानो बात में आवै तो वतकर अठै ले आया दुजा समाचार शाह हीरै (हीरचंदजी सुराणा) कैसरै (शाह केसरीचंदजी सुराणा) रे कागदसु जाणी संवत १८८७ मोती भादवा सुद १२-१३ भेली.
दसकत खास........... माणकदीसी. [२] || श्रीरामजी ॥ साह माणकदिसी सुप्रसाद वंचै अप्रंच झगडौ कियौ तेरा वा-दुजा समाचार मालम हुवा सु दुरत छ चाकरी कर छै जीसो ही फल मीलसी तुं सारी बातरी जमा खातर राखे रा. बुधसिंघजी भगवत सिंघ वगैरै वा प्रदेसी सामधरमी पणे सु चाकरी करै छै वा दुजा ही थारै सामल हर वल छै ज्यां सारां नै घणा हामगीर राखे समत १८८७ मोती भादवा सुद १०
[३] ॥ श्रीरामजी ॥ दसकत खास साह माणकचंद दिसो सुप्रसाद बंच अपंच कागदां सु वा सीहाणो अजोतेरे मुख जवानी समाचार मालुम हुवा सु थारी चाकरी रौ काह फुरमावा परमसामधरमी चाकर छै तै राजा बसुवाल
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