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________________ [५७१] श्रीन सत्य . पद-१ आदि गाथा-चारित्रपति श्री चारित्र पार्श्व नवनिधि श्रीगृहध्येयं । पद-१ अन्त-चारित्रनन्दि श्री संततिदायक पार्श्वचारित्र जिन ज्ञेयं ।। पद-२ अन्त-मिधिचारित्र आदर ज्ञानानन्द रमायो । ३। पद-३ अन्त- चारित्र नवनिधिसरूप ज्ञानानन्द भाई । ४। पद-४ मन्त-तस्वरंग चारित्रनन्द ज्ञानानन्द वास के।३। पद-४१ अन्त -नवनिधि चारित्र आदर ज्ञानानन्द समर ले । ४। इसी प्रकार सभी पदों के अन्त में कहीं 'नवनिधि चारित्र ज्ञानानन्द', कहीं 'निधिचारित्र ज्ञानानन्द' और कहीं चारित्र ज्ञानानन्द' रूप से कर्ताने अपना परिचय दिया है, जो उपर्युक्त वंशवृक्षानुसार ही है । अतः हमारे कथन में कोई सन्देह का अवकाश नहीं रह जाता। अब चारित्रनन्दिली के उपर्युक्त ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दे दिया जाता है जिससे ज्ञानानन्दजी का समय भी निश्चित हो सके। १ पंचकल्याणक पूजा-संवत् १८८८ संभवनाथजी के च्यवन कल्याणक के दिन कलकत्ते में महताबचन्द आदि श्रावकों के आग्रह से रचित । इसकी सं. १९२९ में अभीरचन्दजी की लिखी १४ पत्र की प्रति कुशलचन्द्र पुस्तकालय में है। पत्र चिपक जाने से कहीं कहीं पाठ नष्ट हो गया है। २ नवपद पूजा । ३ इकवीस प्रकारी पूजा। ४ रत्नसार्धशतक-सिद्धांतों के दोहन स्वरूप १५१ बोलमय १७ पत्रों की, स्वयं कर्ता के हस्ताक्षरों में लिखी यह प्रति उपाध्याय सुखसागरजी के शिष्यों के पास बम्बई में है। इसकी रचना संवत १९०९ मे कृष्णाष्टमी के दिन इन्द्रनगर-इन्दोर के पिप्पली (बाजार ) धर्मशाला मे ऋषभदेवस्वामी के प्रसाद से अपने शिष्य कल्याणचारित्र और प्रेमचारित्र के लिये को गई व प्रति लिखी गई। इन ग्रन्थों में पंचकल्याणक पूजा में खरतरगच्छोय अक्षयसरिजी के पट्टधर श्रीजिनचन्द्रसूरिजी की आज्ञानुसार प्रस्तुत पूजा बनाने का उल्लेख है, अतः आप खरतरगच्छ की जितरंगसूरि शाखा-लखनऊवालों के आज्ञानुवर्ती थे यह भी स्पष्ट हो जाता है। संभव है उक्त शाखा के लखनऊ आदि के भंडारों का निरीक्षण करने पर आपको व आपके शिष्य ज्ञानानन्दजी आदि की अन्यान्य कृतियां भी उपलब्ध हों, और उस के आधार से ज्ञानानन्दजी Jain Educaticका दीक्षानाम क्या था यह भी निश्चित हो सके। www.jainelibrary.org
SR No.521548
Book TitleJain Satyaprakash 1939 07 SrNo 48
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1939
Total Pages40
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size723 KB
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