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लुप्तप्रायः जैन ग्रन्थों की सूचि
___ कर्ता-श्रीयुत अगरचंदजी नाहटा, कलकत्ता
(गतांक से पूर्ण) वृहटिप्पनिका उल्लिखित अलभ्य ग्रन्थः-१
ग्रन्थनाम कर्ता श्लोकसंख्या जैनग्रन्थावलो पृष्ठ संख्या पंचकल्प
११३३ (बृहत् टिप्पनिका) *पंचकल्पनियुक्ति
(,) जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्ति मलयगिरि ९५०० (,) निशीथचूर्णि-विंशोद्देशव्याख्या पार्श्वदेव ११०० (सं.११७३) पृ० १२ महानिशीथ लघु-मध्यम-वाचना ३५००-४२०० आवश्यक चूर्णि
१८४७४ *विशेषावश्यकवृत्ति मलयगिरि ९०००
चैत्यवंदनभाष्य वृत्ति चैत्यवंदन विचारगाथाबद्धसूत्रव्याख्यारूप
, २४ पंचपरमेष्ठिविवरण (प्राकृत गाथामय) मतिसागर २५० (सं.११६८) ,, ३४ *ओधनियुक्तिचूर्णि जीतकल्प वृत्ति विवरण
५४३ *निरयविभक्ति
(बृहत् टिप्पनिका) न्यायप्रवेश टिप्पन श्रीचंद्र (सं. ११६८) सम्मतितर्कवृत्ति मल्लवादी ७००
, १६ ,, १८
०
,, २४
०
०
०
,, ५४
०
२००
श्वेतांबर दर्शनसिद्धि षड्दर्शनदिङ्मात्रा विचार अनेकान्तव्यवस्थापन अपशब्द निराकरण
२१५ अपौरुषेय वेदनिराकरण यशोदेव ५११ स्याद्वादरत्नाकर टिप्पन
(बृहत् टिप्पणिका) १ बहटिप्पनिका के आधार से जैनप्रन्थावली में नोंधे गये हैं। * इस चिह्न के ग्रन्थ बुहटिप्पनिकाकार को भी अलभ्य थे ।
२ मूल मन्थ ८४००० श्लोक प्रमाण कहा जाता है । बृहत् टिप्पनिका में प्रथम खंड विना ३६००० प्रमाण नोंधित हैं, पर वर्तमान में मात्र १३००० श्लोक प्रमाण ही उपलब्ध है ।
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