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શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ
गुणणि हिगयचद मिए (१८९३) - राहण उरवासिणा धणड्ढेणं ॥ दलिचंदस्सरणं-सेद्विगणेसेण सिहरंमि ॥ ३० ॥
चमुहदेवपट्टा - परुस्सवेणं तएण कारविया || तं मुह तित्थरं - विणण णमामि हं णिच्चं ॥ ३१ ॥ जेणं धम्मिणं - बावण्ण जिणालओ महारम्मो || निम्मविय विसालो - वाहिंसिरिरायणयरस्स ।। ३२ ।। सो सरिसीह - दाणगुणीं हथिसीह सेट्ठिवरो ॥ तस्सओ गुरुभत्तो - जाओ सेट्ठी मगणभाइ ॥ ३३ ॥ तस्सुय दलपतभाइ-स्सरणहं गेहिणीइ लच्छीए ॥ गुरुणेमिसूरियणा- पासाओ जत्थ णिम्मविओ || ३४॥ तंमि वरिष्णा सामा-परिसोहइ मूलनायगत्तेणं ॥ सिरिपासणाहपडिमा - तं वंदे भूरिभत्तीए ॥ ३५ ॥ ती पट्ठा रम्मा - हगणंदिदुवच्छरे पुण्णे || माहवसियदसमीए - दलपतगिहिणीइ लच्छीए ॥ ३६॥ तवगणरायण दिवायर - तित्थुद्धारपणेमिसूरीणं ॥ आणा हत्थे i - सिरिदंसणसूरिणो गुणिणो ॥ ३७ ॥ चडविहसंघसमक्खं–साहम्मियभत्तिभावपुवेणं ।। वर विहिणा कारविया - वरुस्सवाइप्पवत्रेणं ॥ ३८ ॥ गुरु मिस्रविणा - सिरितवगच्छीयसंघणिम्मविए । गुरुमंदिरे णमेमो - सिरिवुड्ढी गोयमाइए || ३९ || सरणयणणिहिंदु समे- सियछट्टीए य मग्गसिरमासे || जस्स पट्टा हिट्टा - गामे वंदामि तं संतिं ॥ ४० ॥ तालज्झयतित्थगए - जे जिणणाहे या णमंसंति ॥ तेसिं मंगलमाला - विमला कमला गिहे होज्जा ॥ ४१ ॥ गुणणंदणिहिंदुस मे - सिरिगोयम केवलतिपुण्णदिणे || सिरिजिणसासणर सिए - जइण उरीरायणयरंमि ॥ ४२ ॥ तालज्झयथुत्तमिणं - गुरुवर सिरिणे मिस्र रिसी सेणं || परमेणारिएणं - रइयं मुणिभत्तिपण || ४३ ॥
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