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महावीर - चरित्र - मीमांसा
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लेखक
मुनिराज श्री कल्याणविजयजी
१ जीवनचरित्र की दुर्गमता
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आज चारों तरफ से भगवन् महावीर के 'जीवनचरित्र' की मांग है । एतद्देशीय और विदेशीय सभी जैनधर्म के अभ्यासी विद्वान् 'महावीरचरित्र' के लिये लालायित हैं । यह पंक्तिलेखक भी इसी आवश्यकता के वश लगभग १५ वर्ष से इस विषय की तरफ झुका हुआ है, तथापि अब तक सर्व-भोग्य फलप्राप्ति नहीं हुई। इसका कारण महावीर के जीवनचरित्र की दुर्गमता है । इस विषय का जितना अधिक अध्ययन और चिन्तन किया जाता है; उतना ही वह अधिक दुर्गम और अव्यक्त प्रतीत होता जाता है । हमारी प्रवृत्ति के जानकार कई सज्जन पूछा करते हैं. आपका महावीरचरित्र सबन्धी परिश्रम कभी सफल भी होगा या नहीं ? ' और इस प्रकार उलहना देते देते कह सज्जन तो इस संसार से बिदा भी हो चुके, फिर भी हमारा आरब्ध कार्य अभी संपूर्ण नहीं हुआ। इस दीर्घ विलंब कारण क्या है? इसकी चर्चा की यहां विशेष जरूरत नहीं, पाठकगण हमारे इस कार्य की कारण सामग्री के विषय में जब सुनेंगे तो उन्हें स्वयं विश्वास हो जायगा कि यह कार्य जैसा सरल समझा जाता है, वास्तव में वैसा नहीं है । २ चरित्र की मौलिक सामग्री
यदि हम भगवान् महावीर के जीवनचरित्र की मौलिक सामग्री के विषय में कुछ कहना चाहें तो हमारी दृष्टि सब से पहले १ आचाराङ्ग, २ कल्पसूत्र और ३ आवश्यकसूत्र की निर्युक्ति, भाष्य, चूर्णि तथा टीका पर पड़ती है । इन सूत्रों में भगवान के जीवनचरित्र संबन्धी सविस्तर चर्चा है ।
उक्त सूत्रों के अतिरिक्त आचार्य नेमिचन्द्र और हेमचन्द्रसूरिकृत मध्यकालीन 'महावीरचरित्रों' में भी भगवान के जीवनचरित्र के ' कुछ अंश' उपलब्ध होते हैं । हमारे इस 'कुछ अंश' का तात्पर्य यह है कि इन सभी सूत्रों और ग्रन्थों में व्यवस्थित रूप से भगवान की स्थावस्था की ही चर्चा है । केवली - जीवन के ३०
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