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અષાડે
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શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ । अनेकार्थक-श्री केसरिया स्तोत्रम् ॥ कर्ता-आचार्य महाराज श्रीविजयपद्ममूरिजी
(गतांकथी पूर्ण )
॥ आर्यावृत्तम् ॥ रागो सीलभंसो-विणस्सरत्थेसु चेव ण विहेओ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ २१ ॥ भवभमणं दोसेणं-हुज्जा ण गुणोहसंचओ कइया ॥ इय सिक्रवा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ २२ ॥ धणणेहद्धंसकली-कलिणा सिट्ठा गुणा विलिजंति ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ २३॥ अभक्खाणं हेयं-हिंसादोसाइकारणं दुहयं ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहं वंदे ॥ २४ ॥ पेमुण्णं घोरभय-विदेसविकित्तिपीइपरिदहणं ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ २५ ॥ इट्टत्थे रइकरणा-अरइविहाणा अणिट्ठभावेसुं ॥ किटट्टकम्मबंधो-कुज्जा दुण्डंपि परिहारं ॥ २६॥ हेऊ अरइरईणं-दीसइ णो किंपि वत्थुतत्तेणं ॥ इय सिक्खा जस्स मुहा-तं: केसरिया पहुं वंदे ॥ २७ ॥ परपरिवाओ हेओ-गुणवीसासत्थकित्तिधम्मलओ ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ २८ ॥ मायामोसं सुयणा!-कुव्वंतु ण मुक्खमग्गपलिमंथं ॥ इय सिक्वा जस्स मुहा-तं केसरियापहं वंदे ॥ २९ ॥ मिच्छत्तं भवदुहयं-सव्वाणत्थप्पयं सया हेयं ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ ३० ॥ पावाणं ठाणाई-इय अट्ठारसविहाइ हेयाई ।। इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ ३१ ॥ दुरियट्ठाणचायं-किच्चा णिव्वाणमग्गओ हुज्जा ॥ इय सिक्खा जस्स सुहा-तं केसरियापहुं वंदे ॥ ३२ ॥
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