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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चैत्र ૨૯૬ શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ २।४३।४७, ४८ व ५६ में विक्रम- १।२।१३४, १४५ शोक मनुस्मृति संवत् १६५७ के बादके “ ताजिक नील- अ० ७ के ४३ व ५६ वे श्लोक हैं। कंग" ग्रन्थका परावर्तित संग्रह है। इस प्रकार उसमें मनुस्मृतिका भी सहारा तीसरे खण्डके तीसरे अध्यायमें लिया गया है ।४१ " उवसग्गहर” व “तिजयपहत्त” स्तोत्र इसके अतिरिक्त और भी अनेक अवतरण रख दिये हैं। व निर्देश मिलते हैं। विशेष क्या लिखना ! २।२९।१ से ६ तकके ६ श्लोक सचमुच विक्रमकी १७ वी शताब्दिमें, किसी दिगम्बर मुनिने, जैनेतर ग्रन्थों में से बृहत्संहिता (वाराहीसंहिता) के अ० ९९ के श्लोक २ से ७ व्योंकि त्यों उठाकर रख संग्रह करके, यह ग्रन्थ तयार किया है और दिये हैं। उसे श्रुतकेवली श्रीभद्रबाहुस्वामीके नाम पर चडा कर आम जनताको भरमानेकी चेष्टा २।३०।१८३ से १९५ तकके श्लोक बृहत्संहिताके अ० ७१ में से उठा लिये। उपर लिखी हकीकतसे यह बात हैं। जिनमें से सिर्फ १३ वा श्लोक छोड निश्चित होती है कि-भद्रबाहुसंहिता विक्रम दिया है। और उन तेरह श्लोकोंका भी संवत् १६५७ के पश्चात् याने ताजिक क्रम बदल दिया है। नीलकण्टी के पश्चात् बनी है। भद्रबाहुसंहिता२।३१ में बृहत्संहिता अ० ८६ से की सबसे प्राचीन प्रति झालरापट्टनमें से प्राप्त ९६ तकका संग्रह है, जो सारा अध्याय हुइ है। उसमें लिखा है कि यह प्रति गणधर श्री गौतमस्थाभीके नाम पर चडा धर्मभूषणजीके भण्डार निमित्त विक्रमसंवत् दिया है। १६६५ के मगशर सुदि १० को ग्वालियर२।३२। १ से १७ में बहत्संहिता में लिखी गइ, और वामदेवजीने उसे शुद्ध अ० ९७ के श्लोकांकी सरासर नकल है। की इत्यादि। इससे यह मानना सुसंगत . मालूम होता है कि भद्रबाहुसंहिताकी रचनाका २।३५ वास्तु अध्यायमें १३ श्लोक ___ यश धर्मभूषणजी एवं ज्ञानभूषणजीका है, बृहत्संहिता अ० ५३ से उठा लिये हैं। और वामदेवजी उन्होंके कृपापात्र सहभावी २।४१ में बहुत से श्लोक लघुपाराशरीसे या पंडित हेांगे और उन्होंने इस ग्रन्थके ले लिये हैं। श्लो० १३० में ऋषि नारद- बनानेमें अच्छा सहारा दिया होगा। का निर्देश है। (क्रमशः) ४१. श्रीयुत जुगलकिशोर मुख्तार लिखित “ग्रन्थपरीक्षा” द्वितीय भागसे उद्धृत । For Private And Personal Use Only
SR No.521509
Book TitleJain Satyaprakash 1936 03 SrNo 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1936
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size20 MB
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