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तुम माया को छोड़ो। मन्दालसा के इन वाक्यों को हृदय में धारण करो।
एकोऽसि मुक्तोऽसि चिदात्मकोऽसि चिद्रूपभावोऽसि चिरंतनोऽसि । अलक्ष्यभावो जहि देहमोहं मन्दालसावाक्यमुपास्व पुत्र ।। 4।।
अर्थ :- माँ मन्दालसा लोरी गाती हुई अपने पुत्र कुन्दकुन्द को कहती है कि हे पुत्र ! तुम एक हो, सांसारिक बन्धनों से स्वभावत: मुक्त हो, चैतन्यस्वरूपी हो, चैतन्यस्वभावी आत्मा के स्वभावभावरूप हो, अनादि-अनन्द हो, अलक्ष्यभावरूप हो; अत: हे पुत्र ! शरीर के साथ मोह-परिणाम को छोड़ो। हे पुत्र ! मन्दालसा के इन वाक्यों को हृदय में धारण करो।
निष्कामधामासि विकर्मरूपा रत्नत्रयात्मासि परं पवित्रं ।
वेत्तासि चेतोऽसि विमुञ्च कामं मन्दालसावाक्यमुपास्व पुत्र ।। 5।। अर्थ :- जहाँ कोई कामना ही नहीं हैं- ऐसे मोक्षरूपी धाम के निवासी हो. द्रव्यकर्म तज्जन्य भावकर्म एवं नोकर्म आदि सम्पूर्ण कर्मकाण्ड से रहित हो, रत्नत्रयमय आत्मा हो, शक्ति की अपेक्षा केवलज्ञानमय हो, चेतन हो; अत: हे पुत्र ! सांसारिक इच्छाओं व ऐन्द्रियिक सुखों को छोड़ो और मन्दालसा के इन वाक्यों को हृदय में धारण करो। - प्रमादमुक्तोऽसि सुनिर्मलोऽसि अनन्तबोधादिचतुष्टयोऽसि ।
ब्रह्मासि रक्ष स्वचिदात्मरूपं मन्दालसावाक्यगुपास्व पुत्र।। 6।। .. ____ अर्थ :- अपने पुत्र को शुद्धात्मा के प्रति इंगित करती हुई कुन्दकुन्द की माँ मन्दालसा लोरी के रूप में फिर कहती है— तुम प्रमादरहित हो, क्योंकि प्रमाद कषायजन्य है, सुनिर्मल अर्थात् अष्टकर्मों से रहित सहजबुद्ध हो, चार घातियाकर्मों के अभाव में होने वाले अनन्तज्ञान-दर्शन-सुख-वीर्यरूप चतुष्टय से युक्त हो, तुम ब्रह्म तथा शुद्धात्मा हो; अत: हे पुत्र ! अपने चैतन्यस्वभावी शुद्ध-आत्मस्वरूप की रक्षा करना। माँ मन्दालसा के इन वाक्यों को अपने हृदय में सदैव धारण करना।
कैवल्यभावोऽसि निवृत्तयोगी निरामयी ज्ञातसमस्ततत्त्वम् ।
परात्मवृत्तिस्मर चित्स्वरूपं मन्दालसावाक्यमुपास्व पुत्र ।। 7।। __ अर्थ :- तुम कैवल्यभावरूप हो, योगों से रहित हो, जन्म-मरण-जरा आदि रोगों से रहित होने के कारण निरामय हो, समस्त तत्त्वों के ज्ञाता हो, सर्वश्रेष्ठ निजात्मतत्त्व में चरण करनेवाले हो; हे पुत्र ! अपने चैतन्यस्वरूपी आत्मा का स्मरण करो। हे पुत्र माँ मन्दालसा के इन वाक्यों को सदैव अपने हृदय में धारण करना।
चैतन्यरूपोऽसि विमुक्तभावो भावाविकर्मासि समग्रवेदी। ध्याय प्रकामं परमात्मरूपं मन्दालसावाक्यमुपास्व पुत्र ।। 8 ।। अर्थ :- माँ मन्दालसा झूले में झूलते हुए पुत्र कुन्दकुन्द को शुद्धात्मस्वरूप की
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक)
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