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________________ 3. मंगल - मंगल-पुण्यं पूतं पवित्रं प्रशस्तं शिवं शुभं कल्याणं भद्रं सौख्यमित्येवमादीनि मंगलपर्यायवचनानि । -(पृ०33) मंगल, पुण्य, पूत, पवित्र, प्रशस्त, शिव, शुभ, कल्याण, भद्र और सौख्य —ये 'मंगल' के पर्यायवाची हैं। इसी अर्थ को आधार बनाकर आचार्य वीरसेन ने प्राकृत और संस्कृत दोनों में ही मंगल की निरुक्ति भी है। - मंगं सुखं तल्लाति आदत्त इति वा मंगलम् । -(प०34) - मलं गालयति विनाशयति विध्वंसयतीति मंगलम् । -(पृ०34) - मंगलति गच्छति कर्ता-कार्यसिद्धिनास्मिन् वेति मंगलम् । -(पृ०35) - पावं मलं ति भण्णदि उवचारसरूवेण जीवाणं । -(पृ०35) अनुयोग – अनुकूल-व्याख्यान का नाम 'अनुयोग' है। 'अणु' संज्ञा है। आगमकथित सूत्र के अनन्त-अर्थ होते हैं, इसलिए सूक्ष्मरूप सूत्र के अर्थ को विस्तारसहित प्रतिपादन करना 'अनुयोग' है। अणियोगो य णिय्योगो भास-विभासा य वट्टिया चेय। -(पृ०155) अनुयोगो नियोगो भाषा विभाषा वर्तिकेत्यर्थः । -(पृ०156) अनुयोग, वियोग, भाषा, विभाषा और वर्तिका —ये अनुयोग के नाम हैं। अनुयोग की ' निरुक्ति में 'सूई मुद्दा पडिहो संभवदल-वट्टिया चेय।' सूची, मुद्रा, प्रतिध, संभवदल और वर्तिका –ये पाँच दृष्टान्त हैं। अरिहंत - रहस्याभावाद्वा अरिहंता, रहस्यमन्तराय:, तस्य शेषघातित्रितय-विनाशाविनाभाविनो भ्रष्टबीजवन्नि:शक्तीकृतघातिकर्मणो हननादरिहंता। -(पृ०45) _ 'रहस्य' का अर्थ 'अभाव' है। 'रहस्य' का अर्थ 'अन्तराय' भी है। अर्थात् अन्तराय-कर्म का अभाव होना अरिहंत है। ____ अर्ह पूज्य, महान, अतिशय, योग्य। -(पृ०45) इन्द्र - इन्द्र, पुरंदर, शक्र । -(पृ०90) प्ररूपण – निर्देश: प्ररूपणं विवरणं व्याख्यानमिति। -(पृ०161) प्ररूपण, निर्देश, विवरण और व्याख्यान प्ररूपण के नाम हैं। मिथ्या - मिथ्या वितथा व्यलीक और असत्य एकार्थवाची शब्द हैं। दृष्टिं - दृष्टि: रुचि: श्रद्धा प्रत्ययो। -(पृ०163-167) दृष्टि का अर्थ रुचि, श्रद्धा और प्रत्यय है। सिद्ध - सिद्धा: निष्ठिता: निष्पन्ना: कृतकृत्या: सिद्धसाध्या - (पृ०201) सिद्ध, निष्ठित, निष्पन्न, कृतकृत्य और सिद्धसाध्य एकार्थवाची शब्द हैं। वक्र - तिरो वर्क कुटिलमित्यर्थ: । -(पृ०203) तिरस्, वक्र और कुटिल ये एकार्थवाची शब्द हैं। प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001 00 29
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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